कोई भी देश एशिया का दादा न बने : चीनी राष्ट्रपति

शंघाई: चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग ने बुधवार को एशिया में विकास और सुरक्षा के लिए सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि ‘कोई भी देश इस महादेश का दादा’ न बने। एशिया में संवाद एवं आपसी विश्वास बहाली के उपायों पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जिंगपिंग ने यह बात कही। इस सम्मेलन में देशों और सरकारों के 20 प्रमुखों ने हिस्सा लिया।

चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि एशिया “लगातार विकसित होता हुआ समुदाय है” जिसे आतंकवाद, पृथकतावाद और चरमपंथ के खिलाफ बेहतर समन्वय की दरकार है और इसके साथ ही सदस्य देशों की संप्रभुता का सम्मान भी होना चाहिए।

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इस वर्ष के सम्मेलन में हिस्सा ले रहे लोगों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई के अलावा संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून शामिल हैं।

यह अपील उस समय सामले आई है जब चीन का अपने पड़ोसी देशों – जापान, वियतनाम और फिलीपींस- के साथ समुद्री सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। चीन के राष्ट्रपति ने शांतिपूर्ण प्रक्रिया के जरिये विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। उनका इशारा उत्तर कोरिया के परमाणु नि:शस्त्रीकरण समझौते और अफगानिस्तान में पुनर्वास में चीन की भूमिका की ओर था।

जिंगपिंग ने नया ‘सिल्क रूट’ बनाने के लिए आर्थिक संबंधों पर जोर देते हुए एशियाई देशों के बीच सहयोग का आह्वान किया। दो नए सदस्य देशों – कतर और बांग्लादेश – का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि “मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में एशिया अत्यंत गतिशील और संभावनाशील क्षेत्र है।

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