गुनाह होगा अब गुस्से में 3 बार तलाक बोलना

 

 

 

 

 

मुस्लिम समाज में शादियों को टूटने से बचाने के लिए इमारत-ए-शरिया की जमशेदपुर में हुई तफहीम -ए-शरीयत कांफ्रेंस में एक अच्छा और बहुप्रतीक्षित फैसला हुआ है। बिहार झारखंड और ओडिसा के नाजिम-ए-शरीयत अनीसुर्रहमान कासमी ने बताया कि झगड़े के वक्त्त पती का अपनी पत्नी को एक साथ तीन बार तलाक बोलना गुनाह माना जाएगा। वह गुस्से के वक्त सिर्फ एक ही बार तलाक बोले और इस मामले को दारूल कजा में पेश करें।

इस मामले पर दारूल कजा में दोनों पती और पत्नी के बयान लेकर उन्हें समझाने की कोशिश की जाएगीए और गवाहों को बलवाकर उनके भी बयान लिये जाएंगे। उनके मां-बाप के जरिए भी उन्हें समझाने की कोशिश की जाएगी।

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इस मामले पर जब काजी को लगे कि अब इनका किसी सूरत में एक साथ गुजारा नहीं हो सकता तब वह निकाह तोड़ सकता है। यह फैसला मुल्क के 18 सूबों से आए इमारत-ए-शरिया की अदालतों (दारूल कजा) के डेढ़ सौ काजियों के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना सैयद निजामुद्दीन और सचिव हैदराबाद के मौलाना खलिद सैफुल्लाह रहमानी के मंथन के बाद किया गया है।

महन-इन में हुई कांफ्रेंस के दूसरे दिन शहर के बुद्धिजीवियों ने शिरकत की। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना सैयद निजामुद्दीन का कहना है कि सरकारी अदालतों के वकीलों को भी इस्लामी शरियत की जानकारी होनी चाहिए।

 

 

 

 

 

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