बिहार के पुलिस अधिकारियों को क्यों पसंद है शहरों में बसना

पटना– बिहार पुलिस के अधिसंख्य आला अधिकारी अपना जीवन बिहार के बजाय दिल्ली एवं अन्य मेट्रो शहरों में अधिक सुरक्षित समझते हैं। यही वजह है कि अधिसंख्य अधिकारियों ने सेवानिवृति के पश्चात चैन की वंशी बजाने के इरादे से मेट्रो शहरों में अचल सम्पत्तियों की खरीद की है। बताते चलें कि बिहार सरकार के द्वारा बनाये गये नियम के तहत हर सरकारी कर्मी को अपनी संपत्ति विवरण हर वर्ष देना है। इस क्रम में कल पुलिस के आला अधिकारियों द्वारा दिये गये विवरण को पुलिस मुख्यालय ने जारी किया।

हालांकि अन्य आला अधिकारियों के मुकाबले वर्तमान डीजीपी अभायानंद को बिहार से अधिक लगाव है। संभवतः यही वजह है कि उन्होंने अपने लिए पटना में करीब 44 लाख रुपए की लागत से जमीन खरीदकर घर बनवाया है। इनकी इमानदारी का अनुमान इसी मात्र से लगाया जा सकता है कि अभयानंद ने अपने लिए आजतक एक गाड़ी तक नहीं खरीदी है जबकि उनकी चिकित्सक पत्नी अभी भी पुरानी सेंट्रो कार से चलना पसंद करती हैं।

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जिन अधिकारियों को बिहार में बसने की चाहत नहीं है उनमें एक नाम बिहार पुलिस एकेडमी में तैनात पुलिस महानिदेशक सुमित कुमार भी हैं। इन्होंने हाल ही में बैंगलोर में बसने के लिए एक फ़्लैट लेने के वास्ते करीब 31 लाख रुपए का एडवांस दे रखा है। हालांकि इनके पास पटना भी करीब 7 लाख रुपए के मूल्य का एक फ़्लैट है। अपर पुलिस महानिदेशक पुलिस मुख्यालय रविन्द्र कुमार को नोएडा में बसने का शौक है। अपने इसी शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने करीब 11 लाख रुपए खर्च कर एक फ़्लैट ले रखा है। इसके अलावा श्री कुमार की पत्नी ने पटना के नौबतपुर में भी अपने लिए 16 कट्ठे का भूखंड खरीद रखा है।

एक और एडीजी पी एन राय ने भी अपने संपत्ति विवरण में नोएडा में साढे नौ लाख रुपए खर्च कर एक आलीशान फ़्लैट लेने की जानकारी दी है। हालांकि श्री राय ने कहा है कि इसके लिए उन्होंने एचडीएफ़सी बैंक से छह लाख रुपए का लोन ले रखा है। वही डबल रोल निभाने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार (अपर पुलिस महानिदेशक विशेष शाखा एवं बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक) की पत्नी ने गाजियाबाद में 1700 वर्गफ़ीट का एक फ़्लैट खरीद रखा है। इसके अलावा इनके पास बेलीरोड और बिहटा में भी अचल संपत्ति मौजूद है।

बहरहाल, दिल्ली एवं अन्य बड़े शहरों में अचल संपत्ति खरीदने का शौक केवल आला अधिकारियों को ही नहीं है। बिहार पुलिस में हर रैंक के अनेक कर्मियों ने यह कारनामा कर दिखाया है। चूंकि देश में कोई भी कहीं भी (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) जमीन खरीद सकता है, इसलिए तकनीकी रुप से कोई सवाल नहीं उठता है। लेकिन यह तो कहा ही जा सकता है कि आखिर दिल्ली एवं अन्य बड़े शहरों से प्रेम कम से कम प्राकृतिक नहीं ही है।

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