दिल्ली में किसके सिर पर चढ़ेगा जीत का ताज

नई दिल्ली : दिल्ली में चुनावी विगुल बज चुका है. हर पार्टी नये-पुराने मुद्दो को लेकर एक बार फिर मैदाम में उतर चुकी हैं. कच्ची कलोनियां, महिला सुरक्षा, हर घर पानी, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिनपर सभी पार्टियां अपना अपना मत देती नजर आ रही हैं. रैलियां कर रही हैं. हर पार्टी खुद को दूसरी पार्टी से बेहतर बता रही है. एक दूसरे पर आरोप-प्रतिआरोप लगा रही है. वहीं दिल्ली की केजरीवाल सरकार अपने किये गये कामों पर लोगों के भरोसे के साथ एक बार फिर मैदान मारने के लिए तैयार है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव2020 के लिए मतदान 8 फरवरी को होना है. दिल्ली विधानसभा चुनावों में वोट डालने वाले लोगों की संख्या लगभग 1.46 करोड़ है, जिनमें से क़रीब 2 लाख मतदाता युवा हैं, जो पहली बार वोट करने जा रहे है . युवा वर्ग चुनावों में बढ़ चढ़ कर हिसा ले रहा है .

युवाओं का कहना हैं कि इस बार हम वोट काम पर करेंगे . बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट तैयार की जिसके मुताबिक़ विश्व के सबसे ज़्यादा युवा भारत में हैं,और इन युवाओं की संख्या 3 करोड़ 56 लाख है. इसलिए देश में जो कुछ होता है उसका असर किसी न किसी तरीक़े से इस तबके पर पड़ता ही है. देश के युवाओं का कहना है कि हम किसी विचारधारा को ध्यान में रखकर वोट नहीं करेंगे और, न ही किसी पार्टी को. हम अपने क्षेत्र के नेता को देखकर वोट करेंगे कि उस नेता छवि कैसी है और वो कितना काम करेंगा . युवाओं आज सरकार से रोज़गार की मांग कर रहा है. क्योंकि देश की वर्तमान स्थिति में युवाओं के लिए रोज़गार का अकाल पड़ गया है और स्टूडेंट के लिए जो सबसे ज़्यादा ज़रूरी चीज़ें हैं वो है शिक्षा और रोज़गार.

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आज के युवाओं चाहते हैं कि उनका नेता उनके पास आए और उनके बात पूछे. उन्हें ग्राउंड लेबल की सरकार चाहिए.इस बारे में देखे तो आप सरकार ने ग्राउंड पर आकर काम किया है लेकिन उन्हें समझना होगा कि जनता अभी और नीचे है उन्हें अभी और ज़मीन पर आने की ज़रूरत है.

एक समय था जब केजरीवाल सरकार को जनता का भारी विरोध झेलना पड़ा,पर आज उन्होंने उस विरोध को अपने काम के जरिये समर्थन में बदल लिया है. जो की दिल्ली के लोगों की बातों से साफ दिखाई दे रहा है. वहीं अगर बीजेपी की बात करी जाये तो सीएए, एनपीआर, एनआरसी जैसे गरम मामलों पर लोगों के भारी विरोध के कारण झारखंड के बाद अब दिल्ली में भी मुहं की खानी पड़ सकती है.

दिल्ली में किसकी सरकार स्टेशन पर रूकती है और किसकी सरकार का ब्रेक फेल होता हैं, ये आने वाला समय बतायेगा. फिलाल ये देखना ज्यादा दिलचस्व है, कि खुद को औरों से बेहतर दिखाने के लिए, बताने के लिए तमाम पार्टियां अन्य पार्टियों पर कौन कौन से आरोप लगाती नज़र आ रही है . अभी तो सारी पार्टियां एक दूसरे पर रोप प्रत्यारोप करती दिख रही है.

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