उत्तरांखंडः राहत सामग्री का हुआ बंदरबांट

 

 

 

 

उत्तराखंड में आई आपदा में लोगों की दिए जाने के लिए न जाने कितने की राहत सामग्री के ढिंढोरे पिटे गए। लेकिन अब  यह सामग्री पीडि़तों तक न पहुंचाकर इसका बंदरबांट होता दिखाई पड़ रहा है। कहीं कोई जनप्रतिनिधि राहत सामग्री का ट्रक अपने रिश्तेदारों में बंटवा रहा है तो कहीं राहत सामग्री पीडि़तों को देने के बजाय नेताजी के आंगन की

शोभा बढ़ा रही है। उत्तराखंड में आपदा के पीडि़तों के लिए देश भर से मदद के लिए हाथ उठ रहे हैं, लेकिन इस सबके बीच ऐसे लोग भी सक्रिय हो गए हैं जो राहत सामग्री को ठिकाने लगाने की जुगत में लगे हैं।

 

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राहत सामग्री पर भ्रष्ट तत्वों की नजरें टेढ़ी हैं। इनमें जनप्रतिनिधि से लेकर अफसर तक शामिल हैं। कहीं पूरे गांव को राशन मिल रहा है तो कुछ गांव ऐसे हैं जहां राशन के नाम पर कुछ भी नहीं पहुंचा। इसी तरह किसी गांव में कंबलों को ढेर लगा है तो किसी गांव में पीडि़तों को केवल पानी की बोतलें ही मिल पा रही हैं।

इन सबके बीच सड़ा-गला राशन भेजने और राहत वितरण में भेदभाव की बातें भी सामने आ रहे कि प्रशासनिक अधिकारी एक गांव का मुआयना कर रहे हैं तो दूसरे को छोड़ दे रहे हैं। अच्छी गुणवत्ता की राहत सामग्री को गोदामों में दबाने की शिकायतें भी आम हो चली हैं।
इस तरह हुआ राहत सामग्री का बंदरबांट

1. पंच जुलाई को हरिद्वार के लक्सर में बसपा नेता की कंपनी के गोदाम से राहत कोटे का करीब एक हजार क्युन्टल खाद्यान्न बरामद किया गया। जिला प्रशान ने शक्रवार की रात गोदाम में छापा मारा तो मामला खुला।
2. पंच जुलाई को ही उत्तरकाशी के बड़कोट में आपदा राहत की सामग्री को सहायक कोषाधिकारी अपने निजी वाहन में भरकर ले गए।
3. चर जुलाई को गुप्तकाशी के नाला गांव में भेजी गई खाद्यान्न सामग्री में कीड़े निकले। फलस्वरूप् पीडि़तों ने इसे लेने से इन्कार कर दिया।
4. 29 जून को चमोली जिले में राहत सामग्री लेकर जोशीमठ जा रहे ट्रक को शेखी गांव के प्रधान अपने साथ ले गए। इस ट्रक में रखी राहत सामग्री को प्रधान ने कुहेड़ गोव में बांटने के साथ ही निजमुला में अपनी साली के घर पहुंचा दी। बाद में प्रधान व उसके साढू को गिरफ्तार कर लिया गया।

 

 

 

 

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