दिल्ली में फिर से चुनाव की संभावनायें

दिल्ली एक बार फिर चुनाव की ओर बढ़ रही है। अब आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि वो विपक्ष में बैठेगी क्योंकि उन्हें सरकार बनाने का जनादेश नहीं मिला। आप पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया ने कहा कि इसलिए भारतीय जनता पार्टी चाहे तो सरकार बनाए। जहां तक आप का सवाल है, सिसौदिया ने कहा कि पार्टी दोबारा चुनाव के लिए तैयार है। उनका कहना है कि दिल्ली की परिस्थिति ऐसी है कि दोबारा ही चुनाव हो।

साथ ही सिसोदिया ने यह भी कहा कि, आप पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, इसलिए पार्टी ने तय किया है कि हम विपक्ष में बैठेंगे। चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी को मिली हैं इसलिए वो सरकार बनाना चाहे तो बनाए। पर हम दूसरी नंबर की पार्टी हैं इसलिए विपक्ष में बैठना ही सही।

दरअसल, सोमवार सुबह को AAP की चुनाव समिति की बैठक हुई। नतीजा निकला कि जनता ने सरकार बनाने का जनादेश नहीं दिया इसलिए विपक्ष की भूमिका निभाई जाए। एक बार फिर आप पार्टी नेता ने साफ किया है कि उनकी पार्टी किसी भी सूरत में किसी को न तो समर्थन देगी और न ही समर्थन लेगी।

उधर आप के नेता योगेंद्र यादव ने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के आवास पर पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक के बाद कहा कि यदि उपराज्यपाल नजीब जंग पार्टी को सरकार गठित करने के लिए आमंत्रित करते हैं तो भी वह बहुमत हासिल नहीं होने का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर देगी।

यादव ने कहा, ‘हम सरकार गठित नहीं करने जा रहे हैं। हम विपक्ष में बैठेंगे और एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। संविधान के अनुसार सबसे बड़े दल को सरकार गठन की जिम्मेदारी लेनी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘हमें बहुमत हासिल नहीं हुआ है इसलिए यह बहुत हैरानी की बात है कि शीर्ष पार्टी (भाजपा) सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं है और हमें ऐसा करने के लिए कह रही है।

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आपको बता दें कि कभी अरविंद केजरीवाल की सर्मथक रहीं किरण बेदी ने बीजेपी और AAP को एक साथ आकर सरकार बनाने का ट्वीट किया है। वहीं कांग्रेस से ऐसी खबर आई है कि वो आम आदमी पार्टी को समर्थन देने पर विचार कर सकती है। पर आम आदमी पार्टी ने इन सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया है।

दूसरी तरफ भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त की हैं। भाजपा का कहना है कि उसके पास स्थिर सरकार के गठन के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं। भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन ने कल रात कहा था कि वह दिल्ली में सरकार बनाने का दावा नहीं करेंगे क्योंकि उनकी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है और संख्या बल जुटाने के लिए विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ में शामिल होने के बजाय वह विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे।

हर्षवर्धन कहा कि, मेरे पास दिल्ली में सरकार बनाने का दावा करने के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं है। चूंकि मेरे पास 36 का जादुई आंकड़ा नहीं है, इसलिए मैं दिल्ली में सरकार के गठन का हिस्सा नहीं हो सकता।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में 31 सीटें हासिल करके भाजपा सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी है। 70 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए उसे 36 सीटों की दरकार है। आप ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस ने आठ सीट जीती हैं। भाजपा के सहयोगी अकाली दल को एक सीट मिली है। यहाँ सबसे बुरा हाल कांग्रेस का रहा जिसके हाथ से सत्ता तो छिनी ही पार्टी दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर सकी और तो और उनकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित तक को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।

 

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