बाजार में नहीं मिलेगी टीबी की दवाएं

खुले बाजार (मेडिकल स्टोर) में टीबी की दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जा सकती है। ऐसा होने पर मरीज को पंजीकृत सरकारी केंद्रों से हर रोज दवा लेनी होगी। इन दवाओं के सेवन में अनियमितता और मरीजों की निगरानी में कमी टीबी पर अंकुश लगाने के प्रयासों में रोड़ा बन रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आकलन के मुताबिक पूरी दुनिया के 87 लाख टीबी मरीजों में सबसे ज्यादा 22 लाख भारत में ही है।

म्रीजों को टीबी की दवाई या तो सरकारी अस्पतालों और क्लीनिक से मिलती है या निजी डाॅक्टरों के सलाह पर दी जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक , करीब 65 फीसदी टीबी के मरीजों को डाॅट प्रणाली से दवा उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि बाकी को निजी डॉक्टरों के सलाह के आधार पर केमिस्ट दवा उपलब्ध कराते हैं।

Related Post

अधिकतर मामलों में इलाज में अनियमितिता सामने आती है और उपचार अधूरा रह जाता है। मौजूदा व्यवस्था के तहत मरीजों को एकसाथ कई दिन की दवा दे दी जाती है। नई व्यवस्था में मरीज को सरकार द्वारा पंजीकरण केंद्रों से रोजाना दवा दी जाएगी।

Related Post
Disqus Comments Loading...