धार्मिक नेताओं के भड़काऊ भाषणों पर अंकुश को केन्द्र से जवाब-तलबी

आए दिन धर्म को हथियार बनाकर लोगों के बीच भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक नेताओं के भड़काऊ भाषणों पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर सर्वोच्च न्यायाजय ने केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किए, जहां ऐसे भाषण दिए गए थे। पीठ ने याचिका पर चुनाव आयोग से भी जवाब देने को कहा है।

Related Post

प्रवासी भलाई संगठव नाम के एनजिओ की ओर से दाखिल की गई इस जनहित याचिका में कहा गया है कि धर्म, क्षेत्र, जाति अथवा जन्म स्थान को लक्ष्य कर दिए गए भाषण संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं। अपने भाषणों को लेकर अक्सर विवादों में घिरने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के कई विवादित भाषणों का भी याचिका में जिक्र किया गया है।

इस याचिका में दावा किया गया है कि राज ठाकरे के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई। इसी तरह याचिका में आंध्र प्रदेश में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के नेता अकबरूद्दीन ओवैसी के बहुत ही आपत्तिजनक भाषण का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्हें गिफ्तार तो किया गया, लेकिन कुछ दिन बाद अदालत से जमानत पर रिहा होने के बाद नांदेड़ में उन्होंने दोबारा वैसे ही भाषण दिए। इसलिए इन पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश तय करने की जरूरत है, क्योंकि ऐसे भाषण लोकतंत्र के ताने बाने को नष्ट करते हैं और समाज में अशांति फैलाने का काम करते हैं।

Related Post
Disqus Comments Loading...