‘आम आदमी’ को नहीं दी ख़ास ट्रीटमेंट तो एमएस के पद से हटाये गये डॉ. एसपी जयंत

नई दिल्ली : यह मामला दिल्ली के जीबी पन्त अस्पताल का है जहाँ आम आदमी पार्टी(आप) के कुछ कार्यकर्ताओं को VIP ट्रीटमेंट न देना अस्पताल के मेडिकल सुप्रिटैनडेंट को भारी पर गया और उन्हें अपने ही पद से हाथ धोना पड़ा। स्वास्थ्य विभाग ने सुपर स्पेशिएलिटी जीबी पंत अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसपी जयंत को उनके पद से हटा दिया है। इस कार्यवाई के बाद डॉ. जयंत ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

डॉ. जयंत ने कहा है कि पिछले कुछ समय से मंत्रियों के कार्यालय और खुद को पार्टी का वालेंटियर कहने वालों की तरफ से मरीजों को भर्ती करने को लेकर सिफारिशें आ रही थीं। अस्पताल में बेड खाली नहीं होने की वजह से तीन-चार मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सका था।

उन्होंने कहा कि हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय से एक महिला को न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती कराने की सिफारिश आई थी। उसे वेंटिलेटर की जरुरत थी। मैंने विभाग के डॉ. से महिला को भर्ती करने के लिए कह दिया , लेकिन ICU में वेंटिलेटर खाली नहीं होने की वजह से उसे भर्ती नहीं किया जा सकता था, इसके चलते वालेंटियरों ने तबादला कराने की धमकी भी दी थी। ऐसा मुझे लगता है कि उक्त मामले के चलते ही मुझे मेरे पद से हटाया गया है। वहीँ डिप्टी सेक्रेटरी एन. आर. की तरफ से जारी आदेश में डॉ. एसपी जयंत के जूनियर रहे डॉ. एसएम रहेजा को नया एमएस बनाया गया है।

यहाँ  सोचने वाली बात तो यह है कि अपने एमएस पद पर रह कर डॉ. जयंत ने पूरी इमानदारी से अपना कार्य भार संभाला था। वह हमेशा से साफ़ सुथरी छवि के लिए जाने जाते है। बावजूद इसके उन्हें उनके रिटायरर्मेंट के महज पांच माह पहले बिना सूचित किये उनके पद से हटा दिया गया। वहीँ सरकार के इस फैसले से आहत अस्पताल के कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।

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डॉ. जयंत के इस आरोप से सरकार घिरती नज़र आ रही है। मालूम हो कि स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव प्रदीप कुमार ने उन्हें हटाने का आदेश जारी किया है।

खुद को आम आदमी का सरकार कहने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ को यह अच्छे से पता होना चाहिए कि अस्पताल का बेड और वेंटिलेटर किसी भी एमएस के घर में तैयार नहीं होते। ये जिम्मेदारी सरकार की है कि आपको अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर की सुविधाएँ बढ़ाने पर ध्यान देन चाहिए, न कि अपने कार्यकर्ताओं को VIP ट्रीटमेंट दिलवाने पर।

पार्टी के कार्यकर्ताओ का इस तरह किसी भी अस्पताल में जाकर ऐसी तानाशाह वाली हरकते करना सरकार पर कई प्रश्न खड़े करती है। क्या वीआइपी लोगो के ट्रीटमेंट के लिए बेड पर ज़िन्दगी और मौत से जूझ रही आम जनता को बेड से और वेंटिलेटर से हटाकर जमीन पर दाल दिया जाये ?

या आम जनता के लिए सरकार कोई और अस्पातल बनवाएगी. जहां पर इनका इलाज बिना किसी भेद भाव के किया जा सके? सरकार की ऐसी हरकतों से न जाने कितने ही सवाल खड़े होते हैं लेकिन जवाब में आम जनता के हाथ सिर्फ निराशा ही लगती है ..और फिर एक और सवाल.?

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