हजार करोड़ के जमीन घोटाले में आरोपी बनाई जा सकती हैं कमला बेनीवाल

मिजोरम की गवर्नर के पद से हटाई गईं कमला बेनीवाल एक और मुश्किल में फंसती नजर आ रही हैं। अब जब उन्हें आपराधिक मामलों से संवैधानिक आजादी नहीं प्राप्त है तो ऐसे में जयपुर के एक जमीन विवाद ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

दरअसल, जयपुर के एक कोर्ट में 1000 करोड़ रुपये की जमीन हड़पने के मामले की सुनवाई हो रही है, कोर्ट अब बेनीवाल को इस मामले में आरोपी बना सकता है। यह खबर अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ ने दी है।

केस से जुड़े वकील अजय जैन के मुताबिक  ‘शहर के वैशाली नगर पुलिस ने जमीन हड़पने के मामले में कमला बेनीवाल सहित 16 लोगों को दोषी पाया है। पुलिस ने 15 मई को ट्रायल कोर्ट में इस संबंध में रिपोर्ट भी दाखिल की थी। मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को होगी। अब हम कोर्ट में बेनीवाल को भी आरोपी बनाने की मांग करेंगे। उन्हें नोटिस भेजने की मांग भी रखी जाएगी।

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दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता संजय अग्रवाल ने अगस्त 2012 में जमीन हड़पने को लेकर बेनीवाल सहित 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। नवंबर 2012 में कोर्ट ने बेनीवाल को छोड़कर सभी आरोपियों को नोटिस भेजा था, क्योंकि उन्हें गवर्नर के तौर पर इम्यूनिटी प्राप्त थी।

गौरतलब है कि 1953 में राजस्थान सरकार ने एक किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति लिमिटेड (किसान कॉपरेटिव सोसाइटी) को 384 बीघा (करीब 218.14 एकड़) जमीन 25 रुपये प्रति एकड़ के रेट से आवंटित किया था। जमीन सामूहिक तौर से खेती करने के लिए दी गई थी। कमला बेनीवाल 27 साल की उम्र में राजनीति में आईं। वह 1954 में राज्य की पहली महिला मंत्री भी बनीं और 1970 में इस कोऑपरेटिव सोसायटी से जुडीं। सोसायटी को यह जमीन 20 साल के लिए लीज पर मिली जिसे बाद में बढ़ाकर 25 साल कर दिया गया।

हालांकि यह लीज 1978 में रद्द हो गया। समझौते के मुताबिक जमीन एक बार फिर राज्य सरकार के पास चली गई। राज्य सरकार ने 1999 में 384 में से 221 बीघा जमीन को करधानी और पृथ्वीराज नगर में रिहाइशी कॉलनियों के लिए निर्धारित कर दिया।

अब जब जमीन 1978 में ही राज्य सरकार को वापस मिल गई थी तो सोसायटी के सदस्यों को जमीन अधिग्रहण के नाम पर मुआवजा मांगने का हक नहीं था। फिर भी, राजस्थान सरकार ने विकसित जमीन का 15 फीसदी (209 रेजिडेंशियल प्लॉट्स) सोसायटी सदस्यों को मुआवजे के तौर पर दे दिया। कोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि ऐसा बेनीवाल और सोसायटी के प्रभावशाली सदस्यों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया। आपको बता दें कि कमला बेनीवाल अशोक गहलोत सरकार (1998-2003) में राजस्व मंत्री थीं।

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