कानपुर मिड डे मील का रियलिटी

कानपुर। बिहार के स्कूल में मिड डे मील योजना का खाना खाने से कई बच्चो की मौत हो गई और कई दर्जन बच्चे गंभीर रूप से बीमार हो गए। बिहार में घटे घटना से उत्तर प्रदेश की सरकार और प्रशासन को शायद इससे कोई फर्क नहीं पडा, तभी तो प्राइमरी स्कूलों का कोई पुरसाहाल तक न लिया, चलिए आज हम दिखाते है कानपुर के सरकारी स्कूलों की रियल्टी।

सरकार ने गावों में बढती अशिक्षा को देखते हुए मिड डे मील योजना की शुरुआत की थी, कि खाने के लालच में ही सही गावों के बच्चे अशिक्षित तो नहीं रहेंगे । लेकिन सरकार की मिड डे मील योजना के अंतर्गत बनने वाला खाना कैसे बनाया जाता है इसकी हकीकत हम आपको दिखाते है ।

हम आपको ले चलते है कानपुर के कल्यानपुर ब्लाक के सिंह पुर कछार जहाँ के प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में बनने वाला मिड डे मील का खाना उस पानी से बनाया जाता है, जिस पानी को पीने से जानवर भी कतराते हो उसकी गंदे पानी के बीचो बीच लगे हैंडपंप के प्रदूषित पानी से इन बच्चो का खाना बनाया जाता है।

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हैंडपंप के चारो ओर भरे बरसाती पानी में कई तरह के मच्छर और बैक्टीरिया पनप रहे है जिससे अनगिनत बीमारियाँ होने का खतरा है । बच्चे मजबूर है उसी गंदगी और प्रदूषित पानी से बने खाने को खाने के लिए और वही पानी पीने के लिए । बच्चो को खाना मिलने का जो समय निश्चित है उस समय पर उनको खाना नहीं मिलता है लेकिन शिक्षको के डर से और खाना नहीं मिलने के डर से बच्चे कुछ नहीं बोलते है और स्कूल की प्रिंसिपल ने भी साफ़ शब्दों में स्वीकार किया कि पीने के पानी का हैंडपंप गन्दगी और कीचड के बीच है और यही पानी रिस जमीन के अन्दर जाता है और हैंडपंप के जरिये बाहर आता है।

इसके अलावा जिस रसोई घर में बच्चो के लिए खाना बनाया जाता हैए उस रसोई घर के बाहर कुत्ते भी खाना बनने के इन्तजार में आराम करते रहते हैए रसोई घर के हालात एसा कि चारो तरफ गंदगी की भरमार हैए रसोईघर और बच्चो के शौचालय के बीच महज दो कदम की दूरी हैण् इससे अंदाजा लगाया जा सकता है इस स्कूल में पकने वाला खाना कितना पौष्टिक होगा। कुछ स्कूल में बच्चो से बर्तन भी साफ़ करवाया जाता हैए वो भी कीचड़ से भरे हैण्डपाइप परण् इससे भी ज्यादा जहा बच्चे बैठकर खाना खाते हैए वहा बड़े लोग चप्पल पहन कर घूमते नजर आ जायेंगेए और जानवर भी भोजन की तलास में वही घूमते रहते हैण्

उत्तर प्रदेश की सरकार क्या बच्चो के साथ किसी बड़ी घटना होने का इंतज़ार कर रही है क्योकि जैसे हालात इन स्कूलों के है सूबे के हजारो स्कूलों में ऐसे या इससे भी बदतर हालात होंगे । सूबे की सरकार और जिला प्रशासन अगर जल्द ही न चेता तो उत्तर प्रदेश के स्कूलों में बिहार जैसी ही कोई बड़ी घटना हो सकता है ।

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