एंटनी के बयान पर बवाल, पाकिस्तान को दे दी क्लीन चिट

 

 

 

 

जम्मू कश्मीर के पूंछ में एलओसी पर पाकिस्तानी सैनिकों के हमले में भारतीय सेना के 5 सैनिकों के शहीद होने की घटना को लेकर जबर्दस्त हंगामा हुआ है। रक्षा मंत्री ने इस पर संसद में जो बयान दिया उसे भी काफी आपत्तिजनक माना जा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि रक्षा मंत्री ने एक तरह से पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है।

एंटनी का कहना है कि यह हमला बीस आंतकवादियों ने किया जो भारी गोला बारुद से लैस थे और उनके साथ पाकिस्तान की सेना की वर्दी पहने कुछ लोग थे। इस पर विपक्ष का कहना है कि एंटनी ने एक तरह से पाक सेना को क्लीन चिट दे दी है। आखिर एंटनी को कैसे पता चला कि सभी आंतकवादी थे।

इस समय बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर एंटनी ने इस तरह का बयान क्य़ों दिया जो पाकिस्तान सरकार को साफ़ तौर पर क्लीन चिट दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय बार्डर पर भारत की तरफ से बीएसएफ तो पाकिस्तान की तरफ से वहां के पाक रेंजर गश्त करते हैं। इसी तरह एलओसी पर दोनों देशों की सेना ही आमतौर पर गश्त करती है।

यहाँ गौर करने वाली बात यही भी है कि आखिर बीस आंतकवादी, भारी गोला बारुद से लैस होकर एलओसी तक पहुँचने में कैसे कामयाब हो गये। यहाँ सोचने वाली बात है कि कुछ लोग पाक सेना की वर्दी पहन कर एलओसी तक कैसे पहुंच गये। यहाँ यह साफ है कि यह काम पाक सेना की मदद के बगैर नहीं हो सकता है।

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एंटनी ने कहा, ‘हम इस अकारण घटना की कड़ी निंदा करते हैं। भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार के साथ राजनयिक माध्यमों के जरिए कड़ा विरोध दर्ज किया है। मैं सदन को आश्वस्त करता हूं कि हमारी सेना नियंत्रण रेखा की अनुल्लंघनीयता को बरकरार रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार उन शहीदों के परिवारों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करती है जिन्होंने अपने कर्तव्य की खातिर सर्वोच्च बलिदान दिया।

यदि हम एलओसी कि बात करें तो जानकारी के मुताबिक़ यहाँ पर किसी बाहरी नागरिक के जाने पर भी आमतौर पर पांबदी रहती है, यहाँ सेना का बहुत ही तगड़ा पहरा रहता है। ऐसी सूरत में बीस आंतकवादी यूं टहलते हुए एलओसी तक पहुंच जाएं यह बात हजम होने वाली तो नहीं है।

यहाँ रक्षा मंत्री के बयान से साफ है कि पाकिस्तान को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि यह उसकी सेना का काम नहीं है और खुद भारत के रक्षा मंत्री ने इसे स्वीकारा किया है और इसके साथ ही भरत का पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ विरोध भी कमजोर पड़ जाएगा।

 

 

 

 

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