सोनिया ने कांग्रेस पार्टी को लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद दिए जाने की पुरजोर वकालत की

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को पार्टी को लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद दिए जाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि विपक्ष में यह अकेली सबसे बड़ी पार्टी है। लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद के मुद्दे पर सोनिया ने अपनी पहली टिप्पणी में कहा, ‘हम अकेली सबसे बड़ी पार्टी हैं। हमारा चुनाव पूर्व गठबंधन था। इसलिए, हम विपक्ष के नेता पद के हकदार हैं।’

उन्होंने हालांकि कहा कि पार्टी ने अभी यह तय नहीं किया है कि इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया जाए या नहीं। उन्होंने भाजपा के इस आरोप को खारिज किया कि कांग्रेस इस पद को पाने के लिए व्यग्र है और उसने हार को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, ‘यह सही नहीं है। हम चुनाव हारे हैं। हम इस बात से वाकिफ हैं।’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने भाजपा की इस दलील को एक ‘कमजोर बहाना’ करार दिया कि यह मुद्दा लोकसभा अध्यक्ष के पास है।

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उन्होंने कहा, ‘महज स्पीकर के निर्देश की बात कहकर कांग्रेस को इस पद से वंचित रखना एक कमजोर बहाना है। दो दशक पहले जो स्थिति थी, उससे आज सदन और संसद एकदम भिन्न है।’
कमलनाथ ने ससंद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘आज राजनीति अलग है। संसदीय प्रैक्टिस भिन्न हैं। पिछले वर्षों में स्पीकर के निर्देश बदले हैं और कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद न देने के लिए भाजपा का किसी स्पीकर के निर्देश की आड़ लेना पर्याप्त कारण नहीं है।’

कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा, ‘मुझे यह नहीं पता कि भाजपा को क्या डर है। क्या कोई भयभीत है। यह महज एक दर्जा है और उन्हें इस पर सहमत होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो यह कहता हो कि लोकसभा में विपक्ष का नेता पद पर दावा करने के लिए आपको दस प्रतिशत सीटों की जरूरत है। इससे पहले आज वेंकैया नायडू ने कांग्रेस नेता कमलनाथ की उस टिप्पणी की आलोचना की जिसमें उन्होंने कहा था कि विपक्ष के नेता का दर्जा देने के संबंध में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का फैसला भाजपा से प्रभावित हो सकता है। नायडू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि लोकसभा अध्यक्ष दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं।

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