छिपे आतंकियों को खोज निकालने वाली सैटेलाइट हुई भारत में लॉन्च, जानिए क्या है इसकी खासियत

नई दिल्ली : कार्टोसैट-2 सीरीज के तीसरे सैटेलाइट की कामयाब लॉन्चिंग शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से की गई। इसके साथ 30 नैनो सैटेलाइट्स भी लॉन्च किए गए। कार्टोसैट लेटेस्ट रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है। इससे टेररिस्ट्स के कैम्प और छिपे हुए दुश्मनों के बंकर्स ढूंढने में और ज्यादा मदद मिलेगी।

इस सीरीज में पहले लॉन्च किए गए दो सैटेलाइट्स का रेजोल्यूशन 0.8 मीटर था। तीसरे सैटेलाइट का रेजोल्यूशन 0.6 मीटर का है। इसका मतलब है कि ये और ज्यादा छोटे ऑब्जेक्ट्स की तस्वीरें भी ले सकेगा। एक ऑफिशियल ने नाम न बताने की शर्त पर न्यूज एजेंसी से कहा, “ये 0.6 बाइ 0.6 स्क्वेयर के ऑब्जेक्ट्स की तस्वीरें भी ले सकेगा। इससे डिफेंस सर्विलांस को मजबूती मिलेगी। इसका इस्तेमाल टेररिस्ट्स कैम्प, बंकर्स और आर्मी फॉर्मेशन्स की पहचान के लिए हो सकेगा।”

बता दें कि इस सैटेलाइट के ऑपरेशनल होने के बाद इसे डिफेंस फोर्सेस को हैंडओवर कर दिया जाएगा। फोर्सेस के पास अपना सेटअप है, जिसमें ग्राउंड स्टेशन्स और ट्रेन्ड मैनपावर है, जो इसके डाटा का इस्तेमाल करती है।

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पहले के सैटेलाइट्स ने क्या रिजल्ट दिए? ISRO सोर्सेस के मुताबिक, कार्टोसैट-2 सीरीज में पहले लॉन्च किए गए सैटेलाइट ने पड़ोसी देशों की तस्वीरें खींची। इससे सेना और सरकार को लाइन ऑफ कंट्रोल के पार जाकर टेररिस्ट लॉन्च पैड को तबाह करने में मदद मिली।

ऑफिशियल के मुताबिक, “जितने ज्यादा सैटेलाइट होंगे, उतना ही कम समय लगेगा। साथ ही, ज्यादा और बेहतर डाटा भी मिलेगा। ये तेज सैटेलाइट्स हैं, जिसका मतलब है कि जिस जगह की तस्वीरें आप चाहते हैं, ले सकते हैं। साथ ही, इन्हें प्रोग्राम भी किया जा सकता है।” ISRO के मुताबिक, “नया सैटेलाइट पहले लॉन्च किए गए सैटेलाइट की तरह ही है। अब इसका मकसद किसी स्पॉट की हाई रेजोल्यूशन इमेज उपलब्ध कराना है। PSLV-C38 से कार्टोसैट-2 सैटेलाइट के साथ ही 30 और सैटेलाइट लॉन्च किए गए हैं। कार्टोसैट-2 सैटेलाइट का वजन 712 किलोग्राम है। PSLV-C38 की ये 40th फ्लाइट है।

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