काले धन का पता लगाने के लिए मोदी सरकार ने बनाई एसआईटी

नई दिल्ली: केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार ने काले धन पर एसआईटी का गठन करने का फैसला किया है। मंगलवार को कामकाज शुरू करने वाली मोदी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया। मोदी सरकार की पहली कैबिनेट मीटिंग करीब दो घंटे तक चली। मीटिंग के बाद प्रेस ब्रीफिंग में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंबने बताया कि कैबिनेट की मीटिंग में काले धन और यूपी में सोमवार को हुए रेल हादसे पर चर्चा हुई।

कैबिनेट बैठक के बाद कानून, आईटी एवं संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने यहां संवाददाताओं को बताया कि एसआईटी के उपाध्यक्ष भी सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य रिटायर्ड जज जस्टिस अरिजीत पसायत होंगे। उन्होंने बताया कि एसआईटी में सदस्य के रूप में राजस्व सचिव, भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर, खुफिया ब्यूरो के निदेशक, निदेशक (प्रवर्तन), सीबीआई निदेशक, अध्यक्ष केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), महानिदेशक (राजस्व खुफिया), निदेशक (वित्तीय खुफिया), और निदेशक (रा) शामिल होंगे।

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प्रसाद ने कहा, ‘संतोष का विषय है कि आज जब मोदी कैबिनेट की पहली बैठक हुई तो पहला फैसला विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के बारे में किया गया और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुरूप एसआईटी का गठन किया गया। आपको याद होगा कि ये मुद्दा हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है।’

प्रसाद ने कहा, ‘विदेश से काले धन को वापस लाने के लिए हमारा जो संकल्प और प्राथमिकता रही है, उसी के तहत एसआईटी का गठन किया गया है।’ यह पूछे जाने पर कि एसआईटी की रिपोर्ट कब तक आ जाएगी, प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि रिपोर्ट जल्द से जल्द पेश की जाए। हमें उम्मीद है कि ये जल्द ही पेश होगी। इस मुद्दे पर भारत सरकार ने सक्रियता दिखायी है।

एसआईटी को हसन अली के मामलों में और काले धन के अन्य मसलों में जांच, कार्रवाई करने और मुकदमा चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसआईटी के अधिकारक्षेत्र में वे सभी मामले आएंगे, जिनमें या तो जांच शुरू हो चुकी है या लंबित है या जांच शुरू की जानी है या फिर जांच पूरी हो गई है। एसआईटी एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करेगी, जिसमें आवश्यक संस्थागत ढांचा तैयार करना शामिल है जो देश को काले धन के खिलाफ लडाई में मदद करेगा।

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