मसर्रत को रिहा किए जाने के पक्ष में भाजपा नहीं

अलगाववादी नेता मसर्रत आलम को जेल से रिहा किए जाने के मुफ्ती मोहम्मद सईद के फैसले को लेकर भाजपा- पीडीपी गठबंधन में विवाद बढ़ता ही जा रहा है।  जेल से छूटते ही मसरत आलम ने कहा कि छोटी जेल से बड़ी जेल में आ गए। आलम ने कश्मीर की तुलना बड़ी जेल से की। आलम की रिहाई से नाराज बीजेपी ने पीडीपी से इस बाबत कड़ा विरोध जताते हुए बैठक बुलाई है।

आलम ने कहा कि सरकार बदलने से जमीनी हकीकत नहीं बदलती हैं। मैंने अपने बचपन से लेकर आज तक ज्यादातर वक्त जेल में बिताया। अगर मैं दोबारा जेल भेज दिया गया तो मुझे इसमें भी हैरानी नहीं होगी। जेल से निकलने के बाद मैं राहत महसूस कर रहा हूं। मेरी रिहाई कानूनी प्रक्रिया का पालन कर हुई है। महबूबा मुफ्ती ने आलम की रिहाई पर कहा था कि गठबंधन से ज्यादा जरूरी चुनावी वादे पूरे करना है।

राजनीतिक कैदी मसरत आलम की रिहाई से नाराज मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बैठक बुलाई है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के शीर्ष नेता आलम की रिहाई ने खुश नहीं हैं। स्थानीय बीजेपी नेता इस बाबत बयान जारी कर सकते हैं। बीजेपी ने इससे पहले जम्मू कश्मीर स्टेट यूनिट को इस बात की नसीहत दी थी कि ऐसे बयानों से परहेज करें, जो राष्ट्रविरोधी हों।

इस बारे में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर ने कहा है कि उनकी पार्टी मसर्रत को रिहा जाने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इतना बड़ा फैसला लेने से पहले भाजपा को विश्वास में नहीं लिया।

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जुगल किशोर ने कहा कि हमने जीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर के विकास के मुद्दे पर गठबंधन किया है। हम ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जो प्रदेश या प्रदेश की जनता के हित में न हो। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने पिछले चार साल से जेल में बंद मसर्रत आलम को जेल से रिहा करने का फैसला लिया। इसका भाजपा विरोध कर रही है।

उधर, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा है पीडीपी के साथ सरकार बनाना देश को संकट में डालने जैसा है। इसकी शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकियों को इस तरह रिहा करना, ऐसा लगता है जैसे वहां भाजपा की नहीं पाकिस्तान की सरकार है।

वहीँ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि क्या मसरत आलम बीजेपी के राष्ट्रवाद का नया चेहरा है।

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