बिहार में मजदूरों को नहीं मिल रहा मनरेगा योजना का लाभ

गाँधी राष्ट्रीय रोजगार योजना बिहार में जमीनी हकीकत से कोसो दूर है। जहाँ केन्द्र सरकार का करोड़ो रूपया इस योजना पर खर्च हो रहा लेकिन बिहार में जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। यह योजना जहाँ गरीब मजदूरों के हितो के लिए लागू किया गया जिससे गरीब मजदूरों कि आर्थिक हालात सुधर सके मजदूरो को अपने गाँव अपने पंचायत में ही रोजगार मिल सके और उनकी माली हालात के साथ-साथ गाँव का भी विकास हो सके पर मजदूरो कि जगह पंचायत प्रतिनिधियो और पदाधिकारीयो कि माली हालत ही सुधर कर रह गयी ।

जॉब कार्ड मजदूरों के बदले प्रतिनिधियों व पदाधिकारीयों के घर कि सोभा बढ़ा रही है बिहार में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा अभी भी लगातार मजदूरों का पलायन निरंतर अन्य प्रदेशों में जारी है। योजना में मजदूरों की जगह टेलर और अन्य मशीनरी से किया जा रहा और अवैध रूप से मजदूरों के नाम पर पैसे का उठाव कर लिया जाता है, और पंचायत प्रतिनिधी तथा पदाधिकारीयो के बिच बंदर बांट कर लिया जाता है।

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ऐसी हालत में गरीब मजदूर अगर अपने हक के लिए जिलाधिकारी या अन्य पदाधिकारियों के पास अपनी फरीयाद लेकर जाते हैं, लेकिन नतिजा वही ढाक के तिन पात निकलता है। हालांकि इस योजना में लूट खसोट कि खबर केन्द्र सरकार तक है और इसके रोक के लिए केन्द्र सरकार तरह – तरह के हथकंडे अपना रही है लेकिन गरीब मजदूरों को अभी तक जमीन पर कोई सुधार नही दिख रहा है।

इन मजदूरों को न तो रोजगार मिल रहा है और न ही बेरोजगारी भत्ता। इन मजदूरों से अगर काम लिया भी जाता है तो मजदूरी का भुगतान समय पर नहीं मिल पाता। मजदूरी के लिए उन लोगों को प्रतिनिधियो और रोजगार सेवक के पास चक्कर लगा लगाकर थक जाते हैं। अगर भुगतान दिया भी जाता है तो उसमें भी निर्धारीत मजदूरी के बदले मन मानी राशि देकर भुगतान पंजी पर अंगुठा लगवा लिया जाता है। ऐसे में इन गरीब मजदूरों कर फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है

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