जानिए,16 फ्रैक्चर,8 सर्जरी के बाद भी उम्मुल खेर कैसे बनी IAS

नई दिल्ली : कहते है की इंसान के अन्दर अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो हो मुस्किल से मुस्किल कठिनाइयों को पार करके भी अपनी मंजिल को पा ही लेता है। जी हाँ हम यह एक ऐसी ही लड़की की बात कर रहे है जिसका राजस्थान के पाली मारवाड़ में उम्मुल खेर का जन्म हुआ। ऐसा ही कुछ कर दिखाया उम्मुल खेर ने और IAS बनकर पा ली अपनी मंजिल।

आपको बता दें कि उम्मुल एक गरीब परिवार से ताल्लुख रखती है। जिसके तीन भाई बहन हैं। पिता के दिल्ली जाने के बाद मां को सीजोफ्रीनिया (मानसिक बीमारी) के दौरे पड़ने लगे। बच्चों को पालने के लिए उनकी मां को प्राइवेट नौकरी करनी पड़ी। वह प्राइवेट काम करके हमें पालती थीं। मगर बीमारी से उनकी नौकरी छूट गई और हमें खाने का अकाल पड़ गया।

उम्मुल बताती हैं कि कुछ दिनों के बाद पिता सबको दिल्ली लेकर आ गए। दिल्ली आने के बाद हमारे पास रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं था इसलिए हम हजरत निजामुद्दीन इलाके की झुग्गी-झोपड़ी में रहने लगे। साल 2001 की बात है हमारे पास झुग्गी-झोपड़ी का भी सहारा नहीं रहा क्योंकि पूरी झोपड़ियों को उजाड़ दिया गया।

Related Post

उस दौरान उम्मुल कक्षा सातवीं में पढ़ती थीं। उन्होंने बताया कि वह पैसे कमाने के लिए झुग्गी के बच्चों को पढ़ाने लगी जिसमें उन्हें 100 से 200 रुपए मिल जाते थे। झुग्गी के लोगों को पढ़ाते पढ़ाते ही मेरे दिमाग में IAS बनने का सपना जागा। मैंने सुना था कि ये सबसे कठिन परीक्षा होती है। मुझे याद है कि तब तक कई बार मेरी हड्डियां टूट चुकी थीं। पिता ने मुझे शारीरिक दुर्बल बच्चों के स्कूल अमर ज्योति कड़कड़डूमा में भर्ती करा दिया था।

पढ़ाई के दौरान स्कूल की मोहिनी माथुर मैम को कोई डोनर मिल गया। उनके पैसे से मेरा अर्वाचीन स्कूल में नौवीं में दाखिला हो गया। दसवीं में मैंने कला वर्ग से स्कूल में 91 प्रतिशत से टॉप किया। उधर, घर में हालात बदतर होने लगे थे। मैंने त्रिलोकपुरी में अकेले कमरा लेकर अलग रहने का फैसला कर लिया। वहां मैं अलग रहकर बच्चों को पढ़ाकर अपनी पढ़ाई करने लगी। अब 12वीं में भी 89 प्रतिशत में मैं स्कूल में सबसे आगे रही। यहां मैं हेड गर्ल ही रही।

कॉलेज जाने की बारी आई तो मन में हड्डियां टूटने का डर तो था। फिर भी मैंने डीटीसी बसों के धक्के खाकर दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यहां से फिर जेएनयू से शोध और साथ में आईएएस की तैयारी। हंसते हुए कहती हैं बाकी परिणाम आपके सामने है। और सफर जारी है। घरवालों ने भी फोन करके बधाई दी है। भाई-बहन बहुत खुश हैं।

Related Post
Disqus Comments Loading...