एक साल में 469 करोड़ रुपये की वाइन गटक गए कानपुरायिट्स।

कानपुर। 21वी सदी में वाइन का चलन तेजी से बढ़ा है, ये हम नहीं बल्कि कानपुर आबकारी विभाग का आंकड़ा बता रहा है, आबकारी विभाग के आंकड़ो की माने तो पिछले साल कानपुर के लोगो ने कुल 469 करोड़ रुपये की वाइन गटक गए। बाज़ार में जितने तेजी से वाइन के ब्रांड बढ़ रहे हैए उसके दुगनी तेजी से इसका सेवन करने वाले बढ़ रहे है। इसके साथ साथ शहर में इंग्लिस वाइन के करीब ढाई सौ दुकाने,और देशी के डेढ़ सौ ठेके खुल चुके, जहा रोज शाम को महफ़िल सजती है।

आबकारी विभाग के आंकड़े पर नजर डाले तो पिछले साल 1.30 करोड़ लीटर देसी वाइनए 77 लाख बीयर और 80 लाख इंग्लिश वाइन गटक गए। जिनकी कीमत पर नजर डाले तो 240.38 करोड़ रुपये के देसी वाइन 200 करोड़ रुपये के इंग्लिश शराब, और 28 करोड़ रुपये के बीयर कानपुर के लोगो ने गटक लिए। जिसमे इनके औसत कीमत पर नजर डाले तो 200 रुपये प्रति लीटर देशी शराब, 120 से 140 रुपये प्रति बोतल इंग्लिश वाइन जबकि 60 से 70 रुपये प्रति बोतल बीयर के बाज़ार में बिक रहे है। इंग्लिश वाइन के दुकानदारो की माने तो इधर पांच साल के भीतर युवाओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, जिनकी उम्र करीब 15 से 25 वर्ष के बीच है, इनकी पसंद भी बड़े ब्रांड है, जिनमे रायल स्टैग, इम्पिरियर ब्लू और सिग्नेचर के ब्रांड सबसे ज्यादा पसंदीदा है।

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उधर लीवर के डॉक्टर बी डी मंगल की माने तो कुछ बरसो पहले तक देश में लीवर सिरोसिस की शिकायत वाइरल हेपेटाईटिस और हेपेटाईटिस से होती थी मगर अब यही बीमारी वाइन के सेवन बढ़ने से बढ़ रही है, इसकी वजह कम उम्र में वाइन के सेवन से लीवर में सुजन आ जाती है, जिसकी वजह से ये बिमारी युवाओं में बढ़ रही है। डॉक्टर मंगल के मुताबिक़ लीवर सिरोसिस बीमारी को जड़ से ख़त्म नहीं किया जा सकता, बस इसका आखिरी इलाज लीवर का प्रत्यारोपण ही है। डॉक्टर मंगल के मुताबिक़ कानपूर शहर में हर साल 15 से 20 एसे मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैए जिसमे 40 फीसदी युवा शामिल है।

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