भारत अमेरिका के बीच परमाणु करार

अमेरिका और भारत के बीच ऐतिहासिक असैनिक परमाणु करार पर हस्ताक्षर के पांच साल बाद दोनों देशों ने इस संबंध में पहला व्यावसायिक करार किया। न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एनपीसीआइएल) और अमेरिकी कंपनी वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी के बीच प्रारंभिक व्यवसायिक करार पर हस्ताक्षार किए गए हैं।

भारत अमेरिका के एपी-1000 परमाणु रिएक्टर तकनीक का इस्तेमाल कर गुजरात व आंध्र प्रदेश में व्यावसायिक परमाणु उर्जा केंद्र स्थापित करना चाहता है। इसके लिए करीब 14 अरब डॉलर की लागत से गुजरात के छाया-मिथिविरदी परमाणु उर्जा परियोजना के लिए वेस्टिंगहाउस द्वारा निर्मित छह एपी-1000 परमाणु रिएक्टर खरीदने कर योजना है।

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने करार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ वाइट हाउस ओवल कार्यालय में बैठक के बाद एक दिन पहले यह करार हुआ। ओबामा ने कहा, हमने असैनिक परमाणु उर्जा के मुद्दे पर बहुत प्रगति कह है। हम पिछले कुछ दिनों में अमेरिकी कंपनी और भारत के बीच पहला व्यावयासिक करार करने की उपलब्धि हासिल करने में समर्थ रहे हैं।

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बाद में ओबामा और मनमोहन ने संयुक्त बयान में कहा कि सरकार से सरकार की प्रक्रिया पर सहमति है। व्यावसासिक मोलभाव की प्रक्रिया जारी है। इस करार के बारे में वाइट हाउस से जारी एक फैक्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि इस करार से भारत में एपी-1000 परमाणु रिएक्टर को लाइसेंस देने की दिशा में प्रगति सरल बननी चाहिए। इसमें कहा गया है कि दोनों देश वैश्विक परमाणु अप्रसार और हथियार नियंत्रण के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

अमेरिका भारत के चार बहुस्तरीय परमाणु निर्यात शासन व्यवस्था परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर), वासेनार करार ओर आस्ट्रेलिया समूह में चरणबद्ध ढंग से पूर्ण सदस्यता का समर्थन जारी रखे हुए हैं।

अमेरिका के परमाणु नियामक आयोग (एनआरसी) और भारतीय परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) का भी परमाणु सुरक्षा मामलों के बारे तकनीकी सूचनाएं आदान-प्रदान करने के लिए सहमति पर हस्ताक्षर करने का इरादा है।

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