दुश्मनों से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों ने बनाई ये रणनीति

नई दिल्ली: श्रीनगर-जम्मू हाइवे पंपोर में ईडीआई बिल्डिंग में 56 घंटों तक चली मुठभेड़ के बाद सेना ने दो आतंकवादियों को मार गिराया। मेजर जनरल अशोक नरूला के मुताबिक, इस ऑपरेशन में इतना समय इसलिए लगा, क्योंकि छह मंजिला बिल्डिंग काफी बड़ी थी और उसे बड़े नुकसान से बचाने के लिए ऑपरेशन को धीमा करना पड़ा।

सेना ने तीन दिनों में बिल्डिंग पर 50 से ज्यादा रॉकेट और दर्जनों ग्रेनेड फेंके। सेना के एक सीनियर ऑफिसर ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया, ‘इस बिल्डिंग में 60 कमरे और 60 बाथरूम हैं, जिससे ऑपरेशन में थोड़ी मुश्किल हुई।’

इस साल फरवरी में भी इस इमारत में आतंकी घुस आए थे। उस वक्त लश्कर के आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दो अफसर और दो जवान शहीद हो गए। इसके अलावा, एक आम नागरिक की भी मौत हो गई थी। वहीं, ताजा ऑपरेशन में किसी जवान को अपनी शहादत नहीं देनी पड़ी। सिर्फ दो जवान घायल हुए।

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वहीं, बीते हफ्ते हंदवाड़ा में सैन्य शिविर पर हमला करने आए तीन आतंकियों को ढेर करने के दौरान सेना को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ा। माना जा रहा है कि यह सेना के रुख में आए ताजा बदलाव का नतीजा है।

इस नजरिए की ओर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी सोमवार को इशारा किया, जब उन्होंने कहा, ‘discretion is the better part of valour यानी गैरजरूरी खतरा उठाने से बेहतर चौकन्ना रहना है।’ एनकाउंटर के बाद जीओसी मेजर जनरल अशोक नरूला ने भी कहा, ‘हमें बेहद सतर्क रहना होगा ताकि सुरक्षाबलों को कोलेटरल डैमेज न हो।’

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