2.5 टन भारी यानी 5 एडल्ट हाथी के बराबर का सैटलाइट लॉन्च करने के साथ ही भारत यूएसए, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देशों के क्लब में शामिल हो गया जिनके पास मिलिटरी कम्युनिकेशन सैटलाइट हैं।
जीएसएटी-7 का निर्माण इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन;इसरोद्ध ने किया था। इस जीएसएटी-7 सैटलाइट को लॉन्च करने में कुल 185 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इस प्रक्रिया मेंए बेड़े में हर जहाज के अनुकूल बलों और दुश्मन की सामरिक स्थिति के बारे में व्यापक डिजिटल नक्शा होगा। अब नौसेना के जहाज दुश्मन जहाजों और पनडुब्बियों के सटीक स्थान जानने में और डेटा आदान.प्रदान करने में सक्षम होंगे।
इस जीएसएटी-7 सैटलाइट को दक्षिण अमेरिका में कौरु से 2 बजे दिन में लॉन्च किया गया। इसमें फ्रैंच.निर्मित एरियन रॉकेट का उपयोग किया गया है। हालांकि इस उपग्रह का निर्माण देश में ही हुआ लेकिन इसरो ने अपने भारी रॉकेट के बजाय लॉन्च करने के लिए एक यूरोपीय रॉकेट किराए पर लिया।
इससे पहले भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान;जीएसएलवीद्धके दुर्घटना ग्रस्त होने से हताहत हुआ इसरो फिर से कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था। हाल ही में इसमें ईंधन रिवास के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस पूरे मिशन को कामयाब बनाने में 655 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।