सरकार, वर्षा, बुलडोजर, झोपड़ी और आम आदमी

बांका। अभी-अभी सामाजिक कार्यनेत्री वीणा हेम्ब्रम ने सूचना दी है कि बिहार सरकार के नौकरशाहों के द्वारा वनभूमि पर रहने वाले एसटी/एससी/पिछड़ी जाति के लोगों के द्वारा निर्मित आशियाना को बुलडोजर से ढांह दिया जा रहा है।

इन नौकरशाहों की बुद्धि घास चरने चली गयी है। कम से कम बरसा होने के समय में नौकरशाहों को आम आदमी को ख्याल करना चाहिए। इस समय बांका जिले में भारी वर्षा हो रही है। हुक्मरानों के हुक्म के गुलामों के द्वारा झोपडि़यों को ढांह दिया जा रहा है।

वैसे तो पहले ही झोपड़ीनसीबों को भारी वर्षा ने झोपडि़यों पर कहर बरपाया था। अब इस कहर पर नमक छिड़कने सरकार के हुक्म के गुलाम आ गये हैं। इनको मालूम होना चाहिए कि आफत समय में आदमी पक्षियों के घोंसले को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

यहां ऐसा प्रतीक हो रहा है कि यहां के लोग पक्षियों और जानवरों से भी बदतर हैं। तब न आम आदमी पर अत्याचार किया जा रहा है। अब स्थिति हो गयी है कि यह आम आमदी कहां जाए?

केन्द्र सरकार ने बना रखा है वनाधिकार कानून 2006:

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सर्वविदित है कि केन्द्र सरकार ने हरेक तबके हो खुश करने के लिए तोहफा दे रहा है। तोहफा रूपी लोलीपॉप में वनभूमि पर रहने वालों को वनाधिकार कानून 2006 को थमा दिया है। इसके तहत वनभूमि पर रहने वाले आदिवासियों को जमीन का पट्टा देना है। उसी तरह गैर आदिवासियों को भी पट्टा देना है।

मगर 13 दिसंबर, 2005 से पूर्व तीन पीढ़ी का वंशावली दिखाना पड़ता है। मगर बिहार में वनाधिकार कानून 2006 माखौल बन गया है। अभी तक बेहतर ढंग से कानून का क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि वनभूमि पर रहने वालों पर वन विभाग के द्वारा समय-समय पर अत्याचार किया जाता है।

बंगालगढ़ गांव,पंचायत धनुवसार, प्रखंड चांदन,जिला बांका और बिहार के निवासी बेहालः

बंगालगढ़ गांव,पंचायत धनुवसार,प्रखंड चांदन,जिला बांका और बिहार के निवासी हैं। यहां पर 54 घर है। सरकार से उपेक्षित हैं। इन लोगों ने मेल से आवेदक पत्र मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भेजे थे। मुख्यमंत्री भी प्रभावितों के सहायक नहीं बन सके।

मुख्यमंत्री को चाहिए कि तत्काल वन विभाग के हुक्मदारों के आदेश को वापस ले लें और तुरंत वनाधिकार कानून-2006  के प्रावधान के अनुसार वनभूमि का परवाना(पर्चा) निर्गत कर दें। यहां पर रहने वाले रमेश मरांडी ने कहा कि हम लोगों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार न्याय करें। अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो सीधे गोली से उड़ाने का आदेश निर्गत कर दें।

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