कूड़े के बढ़ते ढेड़ से डीएमसीएच अस्पताल को है खतरा

जिस तरह से बिहार के डीएमसीएच के पास दिन पर दिन कूड़े के ढेड़ बढ़ते जा रहा है उसे को देखकर तो यही लगता है की कहीं अब ये डीएमसीएच धीरे – धीरे कूड़े के ढेड़ में डूब न जाए। क्योकि यहाँ जो व्यवस्था है उसे देखर तो यही लगता है की इसको इस मुसीबत से बचाना बहुत मुस्किल हो जएगा है। डीएमसीएच अस्पताल के आसपास व दूर-दराज के डेढ़ दर्जन मोहल्लों की जलनिकासी इसी परिसर से हो रही है। अगर यहाँ बारिश तेज बारिश हो जाती है तो डीएमसीएच को कूड़े के ढेड़ में तैरने से कोई भी नहीं बचा पायेगा। यहाँ का यह आलम सिर्फ आज का नहीं है, यह व्यवस्था पिछले 10 वर्षों से देखने को मिल रही है लेकिन किसी की भी नजर इस समस्या की ओर नहीं जाती है।

डीएमसीएच की ऐसी बदहाली के बाद भी आप यह देखेंगे कि मिर्जा खां तालाब से जलनिकासी के लिए नाला निर्माणाधीन है। तालाब से जलनिकासी के लिए लगभग 6 फीट गहरे नाले का निर्माण किया जा रहा है। इस नाला का निर्माण अनरियाबाग, बंगाली टोला समेत ही कई और भी मोहल्ले को बचाने के लिए किया जा रहा है। लेकिन इन दो मोहल्लों को बचाने के लिए यह यह कोई नहीं सोच रहा है कि ऐसा करने से अस्पताल के डेढ़ हजार मरीज पानी से बच नहीं पायेंगे ।

Related Post

डीएमसीएच अस्पताल जिसमें लोग अपने दर्द के इलाज़ के लिए आते हैं भला अब इस अस्पताल की पीड़ा को कोण समझेगा??? डीएमसीएच का दर्द यहीं खत्म नहीं हो रहा है। कोसी प्रोजेक्ट ने मेडिकल कॉलेज परिसर में जल निकास के लिए नहर बना दिया गया है। यह नहर भी डीएमसीएच से पानी निकालने के लिए नहीं बल्कि उर्दू, नीम चौक, खान चौक व अन्य मोहल्लों से पानी निकालने के लिए बनया गया है। लेकिन जगह-जगह जाम से यह नाला ठप हो गया। इंजीनियरों ने डीएमसीएच से जल निकासी के लिए छात्रावास परिसर में एक तालाब खुदवाया लेकिन यह भी जल जमाव दूर करने में नाकाम रहा है। वहीँ नेल्झ तरफ इंजीनियरों के सुझाओवों ने आग में घी डालने का काम कर रहे हैं और जल जमाव की समस्या यहां अधिक होती जा रही है। इस समस्या के इस हद तक बढ़ने के बाद भी किसी का ध्यान इस और नहीं जा रहा है। क्या प्रशासन के लिए यह समस्या चिंता जनक नहीं है यह फैसला कौन करेगा?????? इस स्थिति में हमारे सामने सवाल ही सवाल है लेकिन तवाब अभी तक कोई नहीं।

Related Post
Disqus Comments Loading...