नेत्रहीनताए और दुष्कर्म की शिकार बच्ची को स्कूल में नहीं मिल रहा दाखिला

मध्य दिल्ली के करोलबाग में अपनी मां के साथ रहने वाली बच्ची की बचपन में ही बिमारी के कारण उनकी आंखे चली गई। होश संभाला तो सिर से पिता का साया उठ गया। मां पर इकलौती नेत्रहीन बच्ची के भरण-पोषण की जिम्मेदारी आ गई। दस वर्ष की इस बच्ची ने कई बार पढ़ने की इच्छा जाहिर कि, लेकिन कभी उसकी नेत्रहीनता तो कभी पैसे की कमी के कारण मां अपनी बच्ची के सपनों को पूरा करने में खुद को लाचार पाती थी।

किसी तरह पैसे जोड़कर मां ने बच्ची का नामांकन एक स्कूल में करवाया, लेकिन सड़क पार करते समय कोई हादसा न हो जाए, इस वजह से पढ़ाई रूकवानी पड़ी। परिवार पर आफत तब आई, जब इसी वर्ष जनवरी महीने में घर में अकेली नेत्रहीन बच्ची को पड़ोसी ने हवस कि शिकार बनाया। दुष्कर्म की काली स्याही को बच्ची शिक्षा के उजाले से दूर करना चाहती है। वह पढ़ना चाहती है, लेकिन पिछले चार महीने से स्कूलों के चक्कर लगाने के बाद भी परिवार उसका दाखिला नहीं करा पाया।

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पीडि़त बच्ची के मौसा ने बताया कि नेत्रहीनता के कारण उसको स्कूल प्रवेश देने पर टालमटोल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के संबंध में अभी तक किसी भी सरकारी संस्था ने संपर्क तक नहीं किया है।

हालांकि पुलिस न दुष्कर्म के आरोपी को तो गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन बच्ची के चेहरे से मुस्कान गायब हो गई है। फिर बच्ची ने पढ़ने की इच्छा जाहिर की तो मां और मौसा बच्ची के लिए स्कूलों के चक्कर लगा रहे हैं। जिससे शायद उनकी बच्ची के चेहरे पर हंसी आ जाए। लेकिन अभी तक अभी तक परिवार वाले बच्ची को दाखिला नहीं दिला सके हैं।

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