विकलांगता सफलता के लिए बाधा बिल्कुल नहीं है


सच ही कहा गया है होसले बुलंद हो तो दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
 इसी बात को सच कर दिखाया हैए लालकृष्ण अरुण कुमार नाम के इस युवक ने। इन्होने यह साबित कर दिया है कि विकलांगता सफलता के लिए बाधा बिल्कुल नहीं है।

इनके दो स्वस्थ हथियार क्ष्हाथद्व के बिना, इन्होने पैरों को हाथों में परिवर्तित कर दिया है। यह बीए, एमए ;इकोनॉमिक्सद्ध और भी बीएड पास है।

लालकृष्ण अरुण कुमार, से जो अपने दोनों हाथों खो चुके है , उनके माता पिता माधव राव और जयश्री दोनों निजी स्कूलों में काम कर के उसे घोर गरीबी की

वजह से कृत्रिम अंग प्रदान करने में असमर्थ थे। पढ़ाई में अपनी क्षमता साबित करने के लिए अरुण ने अपने पैरों को अपना हाथ बनया और पैरों से ही लिख कर अपनी शिक्षा जारी रखी ।

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अब, पैरों की मदद से वह अच्छी तरह अपने दैनिक कामकाज कर लेते है और यहां तक कि क्रिकेट, शतरंज, केरम जैसे खेल भी खेल लेते हैं। अरुण सरकारी प्राथमिक विद्यालय कट्टा करीम नगर, रामपुर में विद्या स्वयंसेवक के रूप में काम करते हैं और ट्यूशन का आयोजन कर आजीविका चलाते है। यह केवल पैरों की मदद से ब्लैकबोर्ड पर लिखते हैं और अपने छात्रों से प्रशंसा जीतते है। अरुण अपने पैरों की मदद के साथ सेलुलर फोन का उपयोग करते है ।

अरुण का कहना है कि कोई पछतावा नहीं है, मैं एक विद्या स्वयंसेवक के रूप में सरकारी स्कूलों में गरीब छात्रों को पढ़ाने से बहुत खुश हूँ ।

मंजिलें उन्ही को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है “
सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता, दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है !!

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