जानिए, क्यों गाँव के मुकाबले शहर के बच्चे मानसिक बीमारी से हैं ग्रस्त

नई दिल्ली : शहर के साफ-सुथरे वातावरण में पले- बढ़े बच्चों में मानसिक बीमारी का खतरा गांव की धूल मिट्टी में पले बच्चों से अधिक होता है।

दरअसल, गांव में बच्चे जानवरों और बैक्टीरिया आदि के संपर्क में रहते हैं जिससे उनमें प्रतिरोधक क्षमता शहरी बच्चों से अधिक होती है। पुराने शोधों में यह भी सामने आया था कि पालतू जानवरों और गांव के परिवेश में पले बच्चों में आगे चलकर अस्थमा और एलर्जी की शिकायत नहीं रहती है।

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जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ उल्म और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो के वैज्ञानिकों ने पहली बार मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया। शोध के लिए 20 से 40 वर्ष के 40 स्वस्थ पुरुषों से मैथ के कठिन सवाल हल कराए गए। टास्क के दौरान उनके ब्लड और सलाइवा का सैंपल भी लिया गया।

सैंपलों के अध्ययन से स्पष्ट था कि शहर के बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ आगे चलकर उनमें डिप्रेशन आदि से ग्रस्त होने का खतरा अधिक पाया गया।

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