आंगनबाड़ी केन्द्र के सामने जलजमाव होने से बच्चे बेहाल

दानापुर। दानापुर प्रखंड के कौथवा ग्राम पंचायत के अभिमन्यु नगर में एक ऐसा आंगनबाड़ी केन्द्र है,जहां एक माह में सिर्फ दो हप्ता की    ही पढ़ाई होती है। शेष दो सप्ताह बच्चों का दिल सहायिका बहलाती रहती है। उनको बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्र में ठहराने के लिए मिड डे मील के बदले में बिस्कुट खाने के लिए थमाया जाता है।

बच्चों को केन्द्र में ठहराकर सहायिका एक तीर से दो निशाने लगा रही है। अव्वल किसी अधिकारियों के कोपभाजन बनने से खुद और सेविका को बचा पा रही है। द्वितीय आंगनबाड़ी केन्द्र को मिलने वाले संसाधनों को दोनों मिलकर डकार जा रहे हैं।  यह जरूर ही गंभीर मसला है। शायद आप भी जानकारी को पाकर आश्चर्य में पड़ गए होंगे कि किस तरह से सेविका और सहायिका आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित कर रही हैं। इससे बढ़कर आने वाले बच्चों का भविष्य क्या होगा, जो यहां पर अक्षर ज्ञान सीखने के लिए आते हैं?

 इसको लेकर अभिमन्यु नगर के लोग आग उंगलने से पीछे नहीं रहते हैं। लोगों का कहना है कि आंगनबाड़ी केन्द्र के सामने बरसात का पानी का जलजमाव होता है। जो गर्मी के दिनों में सूखता है। इसके पहले भी सूख जाता है अगर भगवान दिवाकर तेज रौषनी मिल पाता है। अभी जलजमाव वाले पानी सड़कर काला रंग में तब्दील हो गया है। इसका मतलब कीचड़ होने लगा है।

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इसी बदबूदार वातावरण में बच्चे केन्द्र में बैठते हैं। सबसे दिक्कत यह है कि बच्चे किस परेशानी से केन्द्र में आवाजाही करते हैं। फिलवक्त भगवान की कृपा से किसी की मौत डूबने से नहीं हुई है। चूंकि अभिभावक सचेत हैं। अपने बच्चों को केन्द्र में पहुंचा जाते हैं। केन्द्र में पहुंचा देने के बाद बालक मचलकर पानी से खेलने का मन बना ले या कोई बच्चा खेल खेल में किसी बच्चे को पानी में ढकेल दें तो मामला गंभीर बन सकता है।

अभिन्मयु नगर के लोगों का कहना है कि सब छोटे बच्चों को ध्यान में रखकर आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका रजनी देवी किसी तरह की कदम नहीं उठाती हैं। अपने बच्चों को घर से सही सलामत आंगनबाड़ी केन्द्र तक पहुंचा देते हैं। इसके बाद बच्चों की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका और सहायिका की है। दोनों अपने कर्तव्य को ठीक से निभा नहीं रहे हैं। अगर सेविका और सहायिका दिक्कत को अधिकारियों के सामने रखती तो जरूर ही आंगनबाड़ी के सामने मिट्टी भर दिया जाता ताकि जलजमाव की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

इन सब समस्याओं के आलोक में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका रजनी देवी समस्या को हल करने के बदले घर में ही बैठी रहती हैं। अपना भार सेविका रजनी देवी सहायिका मरछीया देवी के कंधे पर छोड़ देती है। सहायिका मरछीया देवी तो केवल बिस्कुट खिलाकर बच्चों को खुशकर आंगनबाड़ी केन्द्र में बैठायी रहती है ताकि अधिकारियों के कोपभाजन से बचा जा सकें। यहां की सेविका और सहायिका महादलित समुदाय के मुसहर जाति की हैं।

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