ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer): रोग, लक्षण और उपचार

दुनियाभर की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के मामले बढ़त पर हैं। विकसित पाश्चात्य देशों में आठ में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर(Breast Cancer) से पीडि़त है। देश में भी यह कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। बहरहाल, देश में कैंसर संबंधी कुछ ऐसी वास्तविकताएं हैं, जो चिंताजनक है। वस्तुतः विकसित देशों की तुलना में देश में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के जो अधिकतर मामले सामने आ रहे हैं, वे 50 साल से कम उम्र की महिलाओं से संबंधित है। सच तो यह है कि 70 से 80 प्रतिशत भारतीय महिलाएं डॉक्टर के पास तब जाती हैं, जब कैंसर के लक्षण बहुत बढ़ चुके होते हैं। इलाज में देरी होने के कारण यह बीमारी जानलेवा बन सकती है।

रोग के कारणः
लगभग 5 से 10 प्रतिशत ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) वंशानुगात होते हैं। ऐसी पीडि़ता महिलालाओं के परिवार की स्त्रियों में ’बी आर सी ए1’ और ’बी आर सी ए2’ नामक जीन होते हैं, जो ब्रेस्ट और अंडाशय (ओवरी) के कैंसर की आशंका को 55 से 85 प्रतिशत तक बढ़ाते हैं। लगभग 90-95 प्रतिशत महिलाओं में स्तन और ओवरी के कैंसर की कोई एक वजह नहीं होती। ’बी आर सी 1’ और ’बी आर सी2 जीन’ की जांच केवल उन महिलाओं के लिए ही उचित है जिनके परिवार की दो या तीन से ज्यादा महिलाएं अतीत में कैंसर या अंडाशय (ओवरी) के कैंसर से ग्रस्त रही हों। महिलाओं के लिए इस कैंसर से जुझने का एक ही उपाय है कि वे अपने शरीर में कैंसर युक्त बदलाव के प्रति जागरूक रहें।

रोग लक्षणः
ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) जब शुरू होता है, तब उसके कई लक्षण प्रकट नहीं होते। अगर प्रारंभिक अवस्था में कैंसर का पता चल जाए, तो इसका इलाज आसान हो जाता है और इस स्थिति में पीडि़ता की जान पर कोई खतरा नहीं रहता। इसके बावजूद ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) जब बढ़ता है, जब इसके कुछ लक्षण प्रकट होते हैं, यदि इन लक्षणों को जान कर समय रहते आप इलाज करवा ले तो आप खतरे से बच सकते हो:-
1. निपल के आकार में बदलाव।
2. निपल से रक्त और पानी सरीखे द्रव का रिसाव।
3. बगल में गांठ होना।
4. अधिकतर मामलों में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) की गांठ में दर्द नहीं होता। यही कारण है कि महिलाएं सही वक्त पर डॉक्टर के पास नहीं पहुंचती है।

रोग का उपचारः
1. यह आवश्यक है कि 30 साल की उम्र से प्रत्येक महिला माहवारी के बाद अपने ब्रेस्ट और इसके इर्दगिर्द होने वाले बदलावों की स्वयं जांच करे।

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2. इसी तरह 40 साल की उम्र से प्रत्येक महिला को साल में एक बार ब्रेस्ट स्पेशलिस्ट से अपनी जांच कराकर उनके परामर्श से स्तनों का एक्सरे कराना चाहिए। इस एक्सरे को मैमोग्राम कहते हैं। मैमोग्राम के जरिये चावल के दाने जितने सूक्ष्म कैंसर ग्रस्त भाग का पता लगाया जा सकता है। इस स्थिति में कैंसर के इलाज में पूरे बेस्ट को निकालने की जरूरत नहीं पड़ती।

3. इस अवस्था में पता चलने वाले ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) के रोगियों का 90 से 95 प्रतिशत तक सफल इलाज हो सकता है। जब ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) का बाद की अवस्था (एडवांस्ड स्टेज) में पता चलता है, तो इसके इलाज के लिए पूरे ब्रेस्ट को ऑपरेशन के जरिये निकालना पड.ता है। यही नहीं, इस अवस्था में कीमोथेरिपी भी करानी पड़ती। कैंसर की इस बढ़ी हुई अवस्था में पीडि़ता के इजाज की सफलता दर 20-40 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

4. महिलाओं को स्वयं ही अपने ब्रेस्ट व शरीर के अन्य अंगों में आए बदलावों के प्रति सचेत रहना चाहिए। ध्यान रखें कि जब भी ब्रेस्ट और इसके आसपास कोई असामान्य परिवर्तन आए, तो इस स्थिति में डॉक्टर से शिध्र ही सलाह ले कर जांच शुरू करवा लें।

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