जानिये, क्यों आतंकी कमांडरों के मारे जाने पर उनके शव परिवार को नहीं सौपा जाएगा

Kashmiri villagers carry body of Burhan Wani, chief of operations of Indian Kashmir's largest rebel group Hizbul Mujahideen, during his funeral procession in Tral, some 38 Kilometers (24 miles) south of Srinagar, Indian controlled Kashmir, Saturday, July 9, 2016. Indian troops fired on protesters in Kashmir as tens of thousands of Kashmiris defied a curfew imposed in most parts of the troubled region Saturday and participated in the funeral of the top rebel commander killed by Indian government forces, officials and locals said. (AP Photo/Dar Yasin)

नई दिल्ली : कश्मीर घाटी में लश्कर, जैश और हिज्बुल के टॉप कमांडर के मारे जाने पर उनके शव को उनके परिवार को नहीं सौपा जाएगा। बल्कि ऑपरेशन के दौरान ढेर किए जाने के बाद आतंकियों को अनजान जगह पर दफन करने पर विचार किया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, आतंकी कमांडरों के जनाजे में बड़ी संख्या में स्थानीय युवा शामिल होते हैं। जिनका ब्रेनवॉश किया जाता है। इनकी बुद्धि भ्रष्ट कर अलग-अलग आतंकी संगठन में शामिल करने की कोशिश की जाती है।

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यही नहीं जनाजे में शामिल आतंकी कमांडर युवाओं को व्हाट्सएप पर जनाजों के वीडियो भी भेजते हैं। बीडियो के अलावा आतंकी भर्ती में इस्तेमाल में करते हैं। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियां अब ऑपरेशन आल आउट में ढेर किए गए टॉप आतंकी कमांडरों के शव उनके नजदीकियों को न देकर किसी गुप्त स्थान पर दफन करने पर विचार कर रही हैं।

ख़ुफ़िया एजेंसियों ने हाल में केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट दी थी, कि कश्मीर घाटी में आतंकी जनाज़ों में आतंकी भर्ती का अभियान धड़ल्ले से चलता है जिसको LeT, JeM, HM और अल बद्र के कमांडर चलाते हैं।
2014 से कश्मीर घाटी में आतंकियो के खिलाफ नए तरीके के इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर ऑपरेशन किए गए। इस दौरान 2014 में यह संख्या 53 हुई, जबकि 2015 में बढ़कर 66 हो गई।

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