ब्लैक मनी का मुद्दा : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन नामों का खुलासा किया

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वालों के नाम उजागर करने की तैयारी कर ली है। केंद्र सरकार ने एक हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट में विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले तीन लोगों के नाम जाहिर कर दिए हैं।
जिन लोगों के नाम बताए गए हैं उनके खिलाफ विदेशी बैंकों में गोपनीय तरीके से पैसे रखने के मामले में जांच शुरू हो गई है। जैसे-जैसे लोग जांच के दायरे में आते जाएंगे सरकार और नामों का खुलासा सुप्रीम कोर्ट के सामने करेगी।

खबरों में बताया जा रहा है कि इस हलफनामे में तीन कारोबारियों का नाम लिया गया है। बताया गया है कि इनके स्विस बैंक में खाते हैं। हालांकि, यह नहीं बताया गया कि इनका कितना पैसा जमा है। समाचार एजेंसियों व चैनलों के मुताबिक सरकार ने हलफनामे में प्रदीप बर्मन, पंकज चमनलाल लोढ़िया और राधा टिम्ब्लू के नाम लिए हैं। लेकिन सरकार के वकील ने मीडिया से बात करते हुए इस बारे में कुछ नहीं बताया। उन्होंसने बस इतना कहा कि मामले की जांच चल रही है और इससे संबंधित जानकारी हमने सुप्रीम कोर्ट को दी है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने दिए गये एक साक्षात्कार में कहा था कि काला धन रखने वाले खाताधारकों के नाम को जल्द सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि इन नामों की वजह से कांग्रेस को कुछ शर्मिंदगी झेलनी पड़ेगी।

सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश पूरक हलफनामे में जिनके नाम होने की बात कही जा रही है, उनमें से पंकज चमनलाल राजकोट के बुलियन कारोबारी हैं। प्रदीप बर्मन डाबर समूह के निदेशक हैं और राधा टिम्बलू गोवा के खनन कारोबारी हैं। सूत्रों का कहना है कि ब्लै क मनी मामले में कांग्रेस के चार नेता भी जांच के दायरे में हैं। इनमें से एक पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के राज्यमंत्री हैं।
हालाँकि नाम सामने आने के बाद बर्मन ग्रुप ने सफाई दी है कि खाता तब खुला था जब प्रदीप बर्मन NRI थे और खाता खुलवाने के लिए वैधानिक इजाजत ली गई थी।

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बर्मन ग्रुप की सफाई में कहा गया है, “बर्मन परिवार कारोबार को लेकर हर स्तर पर ऊंचे आदर्श और पारदर्शी व्यवहार को बढ़ावा देता है। हम कहना चाहते हैं कि जब ये खाता खोला गया था, तब वे एनआरआई थे और इसके लिए कानूनी इजाजत ली गई थी। हमने इस खाते से जुड़ी सारी कानूनी कार्रवाई स्वेच्छा से पूरी की है, साथ ही इनकम टैक्स विभाग में नियम के मुताबिक टैक्स भी भरा गया है। लिहाजा ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि विदेशी बैंकों में खाता रखने वाले सारे लोगों को एक ही ब्रश से पेंट किया जा रहा है।”

पंकज लोढिया ने भी कुछ गलत करने से इनकार करते हुए संवाददाताओं से कहा, मेरा कोई स्विस खाता नहीं है। मैंने अपनी सारी संपत्ति घोषित की है और मुझे कोई नोटिस नहीं दिया गया है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सील बंद लिफाफे में विदेशी बैंकों में काला धन रखने वाले 136 लोगों के नाम की पहली लिस्ट भी सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विदेश में काला धन जमा करने वालों के नाम छिपाने का कोई इरादा नहीं है और बाहर के देशों से मिली सूचनाओं का ऐसे सभी मामलों में खुलासा किया जाएगा, जहां टैक्स की चोरी साबित हुई है।

आपको बता दें कि किसी विदेशी बैंक में खाता खोलना अवैध नहीं है, न ही इसके लिए आरबीआई की अनुमित लेना जरूरी है। नियमों के मुताबिक आरबीआई एक शख्स को एक साल में विदेशी खाते में सवा लाख डॉलर रुपये भेजने की इजाजत देता है। ऐसे में सरकार खातों में रखे धन को काला धन साबित करेगी और इसकी पुष्टि होने के बाद ही सरकार इन नामों को सार्वजनिक कर सकती है।

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