विधानसभा चुनावों की तुलना में कम वोटिंग से BJP नेता सख्ते में पड़े

मध्य प्रदेश:  मध्य प्रदेश में गुरुवार को 10 लोकसभा सीटों के लिए हुई वोटिंग के प्रतिशत को लेकर जहां चुनाव आयोग उत्साहित है, वहीं BJP नेता  है।

यदि चुनाव आयोग के आंकड़ों की बात करें तो इस बार प्रदेश में 2009 की तुलना में करीब 5 प्रतिशत ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए वोटिंग की है। राजधानी भोपाल में तो यह औसत 13 प्रतिशत से भी अधिक का रहा है। लेकिन सिर्फ चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान को देखा जाए, तो लोकसभा में करीब 15 प्रतिशत कम वोटिंग हुई है।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े एक सीनियर ऑफिसर का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अभियान में काफी फर्क रहा है। विधानसभा चुनावों के दौरान अक्रामक ढंग से प्रचार किया गया था। खुद राज्य सरकार ने उससे पहले अपनी नीतियों का जमकर प्रचार-प्रसार किया था।

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दरअसल, विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में करीब 73 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। उस चुनाव प्रदेश के मतदाताओं ने खुल कर BJP का साथ दिया था, जिसकी वजह से BJP 230 विधानसभा सीटों में से 165 पर जीती थी। क्योंकि विधानसभा चुनाव प्रदेश के मतदाताओं के लिए ज्यादा अहम था, इसलिए उन्होंने उसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था।

जहां तक लोकसभा चुनावों का सवाल है, इन चुनावों के लिए न तो विधानसभा जैसा प्रचार हुआ है, और न ही स्थानीय स्तर पर विज्ञापन अभियान चलाए गए हैं। इस चुनाव में ज्यादा जोर टेलीविजन प्रचार पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीविजन का असर आज भी कम है।

हालांकि विधानसभा के आंकड़ों के मुताबिक BJP को 23 लोकसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी पर मतदान का यह औसत लोकसभा में कायम नहीं रह पाया है। पहले चरण में 9 सीटों के लिए हुए चुनाव में करीब 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट डाले थे। दूसरे चरण में यह घट कर 55 प्रतिशत रह गया है। अभी 10 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। घटते मतदान प्रतिशत ने ‘मिशन-29’ लेकर चल रहे BJP नेताओं की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि स्पष्ट रूप से वे यह नहीं मान रहे हैं कि गिरते मतदान प्रतिशत का नुकसान बीजेपी को होगा।

हालांकि BJP नेता मोदी लहर के चलते जीत के प्रति आश्वस्त है, लेकिन मध्य प्रदेश में घट रहे मतदान प्रतिशत ने उनके माथे पर लकीरें डाल दी है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चिंतित बताए गए हैं। इसी वजह से वे खुद ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार अभियान में जुट गए हैं।

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