बिहार: महागठबंधन में सीटों पर रणनीति तय, जानें कब होगी घोषणा

नई दिल्ली : महागठबंधन में भी लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे की कवायद शुरू हो गई है। शनिवार को आरजेडी (RJD) नेता तेजस्वी यादव और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने रिम्स में लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर सीटों के तालमेल पर मशविरा किया।

हालांकि दोनों नेताओं ने सीट बंटवारे के फॉमूले पर कुछ नहीं कहा, लेकिन यह संकेत जरूर दिया कि बात लगभग फाइनल हो गई है और खरमास बाद इसकी घोषणा हो सकती है। उधर, महागठबंधन के घटक दल ‘हम’ के नेता जीतन राम मांझी ने भी खरमास के बाद सीट बंटवारे पर मुहर लगने की बात कही। हालांकि उन्होंने भी कहा कि हमारे बिना सीट कैसे फाइनल हो जाएगी।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि कोई कितना भी जोर लगा ले, बिहार और झारखंड में महागठबंधन क्लीन स्वीप करने जा रहा है। जनता मोदी जी से, उनकी जुमलेबाजी से जल्दी पीछा छुड़ना चाहती है। तेजस्वी यादव शनिवार को सुबह 11 बजे रिम्स के पेइंग वार्ड में भर्ती अपने पिता लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि उनके पिता दूसरे शहर में रहते हैं, इसलिए मिलने आए थे।

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महागठबंधन के फॉर्मूले के बारे में उन्होंने कहा कि वह अभी नहीं बताएंगे। महागठबंधन बिहार की 40 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। जनता जिसको पसंद करेगी वही चुनाव जीतेगा। कोई चाहे जितना फॉर्मूला निकाल ले, जनता के सामने काम नहीं आने वाला है। हमारे यहां कोई फॉर्मूला काम नहीं करता। हम जनता के बीच साथ जाएंगे। जो जहां जीतने वाला होगा उसे वह सीट मिलेगी। महागठबंधन की जीत सुनिश्चित है। इसलिए हमलोग बेचैन नहीं हैं, निश्चिंत हैं। जनता हमारे साथ खड़ी है।

उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकता संविधान बचाना है। सामाजिक न्याय और धर्म निरपेक्षता के लिए लड़ना है। देश में अघोषित इमरजेंसी लागू है, उनसे देश को छुटकारा दिलाना है। नागपुरिया कानून एजेंडा जो लागू करना चाहते हैं। हमें उसके विरुद्ध खड़ा रहना है।

तेजस्वी ने कहा कि सत्ताधारी दल के लोग ऐसे प्रवचन देते हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं। सोचिए, बीजेपी के पास बिहार में 22 सीटें हैं। उसको 17 पर क्यों लड़ना पड़ रहा है? नीतीश कुमार जी दो सीट के हैँ उनको भी 17 सीटें दी जा रही है। बिहार में एनडीए की ये औकात और हैसियत लोग जानते हैं।

तेजस्वी ने कहा कि पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण हर जगह NDA ने अपना पार्टनर खोया है। कश्मीर में पीडीपी, महाराष्ट्र में शिवसेना, दक्षिण में चंद्राबाबू नायडू तो उत्तर में बिहार में मांझी जी गए। उपेंद्र जी गए, सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी गए। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी नाराजगी है। कारण है बीजेपी और नीतीश कुमार का झूठ, गठबंधन के साथ तानाशाह रवैया। नीतीश कुमार को बिहार की नहीं कुर्सी की चिंता है। हम उनकी जगह रहते तो सीटों को बाद में देखते, पहले अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को जेल में डालते।

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