बिहार को मिल सकता है पिछड़े राज्य का दर्जा

केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि जल्दी ही वह राज्यों का पिछड़ापन तय करने वाले मानकों में बदलाव कर देगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने संकेत दिया है कि जल्दी ही वह राज्यों का पिछड़ापन तय करने वाले मानकों में बदलाव कर देगी। इसके लिए सरकार तैयारी कर रही है और अगले दो महीने में इस संबंध में ठोस नतीजे दिख सकते हैं।

सरकार की मंशा इरादा अब किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की नहीं है, बल्कि सरकार राज्यों का पिछड़ापन तय करने वाले मानकों को ही बदलना चाहती है। सरकार का मानना है कि केवल पहाड़ी राज्य या अंतरराष्ट्रीय सीमा लगना ही पिछड़ेपन का मानक नहीं हो सकता। अब जरूरत स्वास्थ्य, शिशु मृत्यु दर, प्रसव के दौरान होने वाली मौतें और राज्य की प्रति व्यक्ति आय को मानकों में शामिल करने की है। मानकों में बदलाव के बाद बिहार के साथ-साथ ओडिशा, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पिछड़े राज्यों की श्रेणी में शामिल हो सकते हैं। इसका संकेत वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में ही दे दिया था।

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वहीँ दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछड़े राज्यों के लिए मानदंड में बदलाव के लिए माँग कर रहे हैं। इस बदलाव से बिहार को 6-7 हजार करोड़ रुपये का मुनाफा हो जाएगा। या फिर ऐसा कह सकते हैं कि केंद्र की योजनाओं में कम हिस्सेदारी देने से इतनी रकम बच जाएगी। इस पैसे से बिहार जैसे राज्य अपने लिए कई बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। साथ ही नीतीश कुमार ने यह भी कहा है कि जो भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा, वह उसे अपना समर्थन देंगे। इस वक्त इसका खास राजनीतिक महत्व भी है। श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर डीएमके और वीसीके के समर्थन वापसी के बाद मुश्किल में फंसी केंद्र सरकार के लिए जेडीयू का समर्थन बहुत महत्व रखता है। लोकसभा में वीसीके का एक और डीएमके के 19 सांसद हैं। वहीं जेडीयू के 20 सांसद हैं।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब सरकार ने इस पर गंभीरता से काम करना शुरू कर दिया है। संकेत हैं कि अगले दो महीने में सरकार नए मानकों की घोषणा कर सकती है। इसके अलावा फाइनैंस कमिशन बिहार जैसे कर्ज के बोझ से दबे राज्यों को कुछ राहत भी दे सकता है। इससे पश्चिम बंगालए, केरल और पंजाब को भी फायदा हो सकता है।

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