बंगाल सरकार NRC पर प्रस्ताव ला रही है, वामो व कांग्रेस का मिला साथ

कोलकाता : NRC बंगाल में  TMC असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाने की तैयारी में है। TMC की ओर से शुक्रवार को विधानसभा में NRC के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा, जिसका राज्य के विपक्षी दल कांग्रेस और वाममोर्चा ने भी समर्थन किया है। स्वभाविक तौर पर BJP  इसके खिलाफ है।

बुधवार को विधानसभा में हुई बिजनेस एडवायजरी कमेटी की बैठक में सत्ता पक्ष व विपक्ष (कांग्रेस व वाममोर्चा) के बीच NRC के खिलाफ प्रस्ताव लाने को लेकर सहमति बनी। बताया जाता है कि एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के दौरान TMC  प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सदन में मौजूद रहेंगी और बहस में हिस्सा लेंगी। सूत्रों ने बताया कि इस दिन विधानसभा में बंगाल में कभी भी एनआरसी लागू नहीं किए जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

इससे पहले मंगलवार को वाममोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने विधानसभा में NRC  के खिलाफ प्रस्ताव ला कर अविलंब इस पर चर्चा की मांग की थी। इस पर उन्हें कांग्रेस और राज्य सरकार में मंत्री शोभनदेव चटर्जी का समर्थन भी मिला था। शोभन ने कहा था कि इस राज्य में एनआरसी लागू करने की मांग को किसी भी शर्त पर पूरा नहीं किया जाएगा। इसके बाद बुधवार को विधानसभा में बिजनेस एडवायजरी कमेटी की बैठक हुई जिसमें प्रस्ताव लाने को लेकर सत्तारूढ़ दल के साथ वामो व कांग्रेस की ओर से रजामंदी जाहिर की गई।

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इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है कि ममता 12 सितंबर को असम जा सकती हैं और वहां विरोध-प्रदर्शन कार्यक्रम में हिस्सा ले सकती हैं। इस मुद्दे पर ममता सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं। सुश्री बनर्जी शुरू से ही असम में एनआरसी का विरोध कर रही हैं।

शनिवार को असम में NRC  की फाइनल सूची जारी किए जाने को लेकर सुश्री बनर्जी लगातार तीखी प्रतिक्रिया सोशल नेटवर्किग साइट्स के जरिए व्यक्त कर रही हैं। ममता ने कहा था कि NRC  से गोरखा समुदाय के एक लाख से अधिक लोगों को बाहर किया गया है जो कि हैरानी की बात है। सूची से बाहर CRPF और अन्य जवान और पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार के सदस्य भी हैं। सरकार ये सुनिश्चित करे कि असली भारतीय सूची से बाहर नहीं हों और उन्हें न्याय मिले।

आपको बता दें  कि 31 अगस्त को जारी NRC  की अंतिम सूची में करीब 19 लाख लोग बाहर हो गए थे। इसके बाद इन लोगों को विदेशी न्यायाधिकरण के सामने नागरिकता साबित करने की चुनौती है। इसके लिए असम में करीब 521 विदेशी ट्राइब्यूनल स्थापित किए जा रहे हैं।

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