मानवीय संकट का रूप ले रहा इबोला वायरस

 

नई दिल्ली : चान ने जिनेवा में बताया, इस प्रकोप का कोई जल्द अंत होता नजर नहीं आ रहा। यह एक असाधारण प्रकोप है, जिसके लिए असाधारण उपायों की जरूरत है। यह एक जबरदस्त स्वास्थ्य संकट है और यदि इसके संचार को रोकने के लिए और अधिक प्रयास नहीं किए गए तो यह एक मानवीय संकट का रूप ले सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पश्चिमी अफ्रीकी देशों में फैली बीमारी इबोला को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात घोषित कर दिया है। इस मुद्दे पर डब्ल्यूएचओ की आपात समिति की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया है कि इबोला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैलने से रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। समिति में इस बात को लेकर आम राय है कि इबोला बीमारी के सामने आने के बाद की स्थिति हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न जैसी है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इबोला का पहला मामला मार्च में सामने आया था। इस बीमारी से अब तक 1,711 लोग प्रभावित हुए हैं। गिनी, लाइबेरिया, नाइजीरिया, सियरा लियोन में इस बीमारी से 932 लोगों की मौत हो गई है। इस बीमारी का विषाणु संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है।

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इबोला के दो और संदिग्ध पेशंट को आरएमएल में ऐडमिट कराया गया है। इसके साथ अब तक दिल्ली में इबोला के सात संदिग्ध मरीज आरएमएल में लाया जा चुका है। दो नए पेशंट नाइजीरिया के हैं, जिसमें एक की उम्र 24 साल और दूसरे की 27 साल है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान दोनों को हाई फीवर था। उन्हें आरएमएल में ऑब्जर्वेशन के लिए रखा गया है और ब्लड सैंपल टेस्ट के लिए भेज दिया गया है। हेल्थ मिनिस्टरी ने यह दावा किया कि अब तक पूरे देश में कहीं भी इबोला का कोई पॉजिटिव केस नहीं आया है।

 

 

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