रद्द हो सकती है आम आदमी पार्टी की मान्यता

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी अब नए कानूनी पचड़े में फंस गई है और यह इतना गंभीर मसला है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी की मान्यता भी रद्द हो सकती है।

दरअसल मान्यता लेने के लिए हर पार्टी को 100 लोगों के हलफनामे देने होते हैं। शर्त यह होती है कि सभी 100 लोग पार्टी के सदस्य हों और किसी दूसरी पार्टी से उनका ताल्लुक न हो। AAP की ओर से जिनके हलफनामे दिए गए थे, उनमें दो ऐसे लोग थे तो जो जनराज्य पार्टी के सदस्य थे और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था। जनराज्य पार्टी ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की है और AAP की सदस्यता रद्द करने की अपील की है।

कानूनी जानकार मानते हैं कि हांलाकि, रिप्रेंजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के तहत पार्टी के गठन का तो प्रावधान है, लेकिन उसका पंजीकरण रद्द करने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा फैसला है, जिसके मुताबिक कुछ मामलों में चुनाव आयोग पार्टी का पंजीकरण रद्द कर सकता है।

हलफनामे में जो नाम दिए थे, उनमें जालसाजी पाई गई है। पटियाला हाउस कोर्ट ने एफआईआर के निर्देश दिए हैं। साथ ही हमने हाईकोर्ट में भी इस मामले में रिट डाली है। 2002 का एक फैसला है, जिसमें कहा गया है कि अगर पार्टी गलत हलफनामा देती है तो चुनाव आयोग उसका पंजीकरण रद्द कर सकता है। उस पार्टी पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। इसका मतलब ये हुआ कि उनके एमएलए या एमपी निर्दलीय माने जाएंगे।

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जनराज्य पार्टी ने इस मामले को लेकर चुनाव आयोग से भी शिकायत की है और AAP की मान्यता रद्द करने की अपील की है। दूसरी तरफ जनराज्य पार्टी की शिकायत पर पटियाला हाउस कोर्ट ने धोखाधड़ी और साजिश की धाराओं के तहत पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दे दिए हैं, जिस पर पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज हो गई है।

एसोसिएशन फॉर सोशल वेलफेयर वर्सेज इंडियन नेशनल कांग्रेस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई हलफनामा गलत देता है, फॉर्जरी करता है तो चुनाव आयोग उसकी मान्यता रद्द कर सकता है।
नियम के मुताबिक किसी भी पार्टी की मान्यता तभी रद्द हो सकती है जब हलफनामे फर्जी हों और इस मामले में अब तक यह पैमाना फिट बैठता दिखाई दे रहा है। कोर्ट ने भी इसे फर्जीवाड़े का मामला मान लिया है। ऐसे में गेंद चुनाव आयोग के पाले में है। अगर मान्यता रद्द की गई तो पार्टी के सांसद और विधायक निर्दलीय कहलाएंगे। पटियाला हाउस कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई अब 20 अगस्त को होगी।

दूसरी तरफ दिल्ली के कोर्ट में इसको लेकर अपील भी की गई है। कोर्ट ने इस मामले में केस दर्ज करने का आदेश दिया है और दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने में एफआईआर दर्ज भी कर ली गई है। नियम के मुताबिक किसी भी पार्टी की मान्यता तभी रद्द हो सकती है जब ये हलफनामे फर्जी हों और इस मामले में अब तक यह पैमाना फिट बैठता दिखाई दे रहा है। कोर्ट ने भी इसे फर्जीवाड़े का मामला मान लिया है। ऐसे में गेंद चुनाव आयोग के पाले में है। अगर मान्यता रद्द की गई तो पार्टी के विधायक निर्दलीय विधायक कहलाएंगे।

वहीं सरकार गठन के मुद्दे उठापटक जारी है। AAP विधायक राजेश गर्ग ने बीजेपी पर उनके विधायक तोड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की ओर से उन्हें एप्रोच किया गया और इस बात का वीडियो उनके पास सबूत के तौर पर मौजूद है। उन्होंने कहा कि उनके विधायक किसी हालत में नहीं टूटेंगे। गौरतलब है कि आज शाम 4 बजे कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में AAP विधायकों की बैठक भी है।

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