जेवर गहने लेकर दुल्हन मंडप से भागी

कानपुर। हर माँ बाप की तरह कानपुर रावतपुर इलाके के 65 वर्षीय राम नारायण और उनकी पत्नी ने भी बड़े अरमान से अपनी बेटी के हाथ पीले करने का सपना देखा था, और मंगलवार की रात वो अपने सपने को अमली जामा पहनाने भी जा रहे थे, मगर उनकी बेटी को ये मंजूर नहीं था, और उनकी बेटी ने एंड मौके पर दुल्हन का जोड़ा पहने घर से भाग निकली, जिसका सदमा राम नारायण बर्दाश्त ना कर सकेए और पहुँच गए हॉस्पिटल, जहाँ वो जिन्दगी और मौत लड़ रहे हैं।

मंगलवार की शाम तक रावतपुर के रहने वाले राम नारायण के घर शहनाई की धुन बज रही थी, और पड़ोसी, नातेदार, रिश्तेदारों की भीड़ शादी में शामिल होने के लिए लगी हुई थी, क्योकि रामनारायण की बेटी साधना की शादी हो रही थी, मगर आज इस घर में मातम है, शर्मिंदगी है और बदनामी भी है। यहाँ आये पडोसी राम नारायण के परिवार को ढाढस बंधाने में जुटे है।

अब आइये हम आपको बताते है, इस शादी की पूरी कहानी। ओ इ ऍफ़ से रिटायर्ड राम नारायण ने अपनी बेटी साधना की शादी कानपुर नौबस्ता के शरहने वाले बलराम राजपूत के साथ तय कर दी थी, और उन की शादी मंगलवार यानी 23 अप्रैल 2013 को होनी थी, जिसकी पूरी तैयारी कर ली गयी थी, मंडप तैयार था, बारात आ चुकी थी, इस शादी में शरीक होने आये हर शख्स खुश था, मगर घर वालो के साथ यहाँ मौजूद हर लोगो के चहरे पर उस वक़्त खामोसी छा गयी जब लोगो को ये पता चला की दुल्हन भाग गयी वो सारे जेवर और गहने लेकर। घर वालो के साथ पड़ोसिओ ने भी मिल कर साधना को खोजने की कोशिश की, मगर सब व्यर्थ गया दुल्हन का कोई पता नहीं चला।

साधना की छोटी बहन ने बताया कि दीदी यानी साधना इस अपनी शादी तय किये जाने से खुश नहीं थी, उसने माँ बाबू जी को ये शादी ना करवाने की जिद भी की थी, और कई बार समझाने की कोशिस भी की थी, मगर माँ बाबू जी उसकी एक ना सुनी, और साधना की शादी तय कर दी बलराम राजपूत से। दरअसल साधना अपने माँ पिता जी के साथ रावतपुर के गजोधर सिंह पुरवा मोहल्ले में रहती है, और इसी मोहाल्ले के रहने वाले रामू नाम के एक लडके से प्यार करती थी, और दोनों का प्यार इस मुकाम तक पहुच चूका था जहा से लौटना मुश्किल था, साधना की बहन ने बताया की दीदी रामू को बेहद प्यार करती थी और उसी के साथ शादी करना चाहती थी, ये बात घर में सब को पता भी था, मगर बाबू जी को रामू फूटी आँख सनी सुहाता था।

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बाबूजी ने रामू के साथ साधना की शादी नहीं करवाने का एलान घर में कर डाला था, और इसी गुस्से में उन्होंने कानपूर नौबस्ता के रहने वाले जिया लाल राजपूत के बेटे बलराम राजपूत से उसकी शादी तय कर दी। बाबू जी अड़ियल रुख के आगे साधना ने अपनी जुबान बंद कर लीए मगर उसने शादी के रात जब बरात घर पर आ गयीए बलराम और साधना ने एक दुसरे को जयमाल के समय फूलो की माला तक पहना दीए मगर जब लड़के पक्ष ने जेवर और गहने लड़की को पहने के लिए दिए और दुल्हा मंडप में बैठ अपनी राजकुमारी का इन्तजार करने लगाए और सारे घर वाले काम में व्यस्त हो गए तभी साधना ने दुल्हन के लिबास में जेवर पहने बिना किसी को बताये घर से भाग निकली।

जब इस बात की भनक घरवालो को हुई तो घर में कोहराम मच गया, सब परेशान हो गए, मंडप में बैठे दुल्हे राजा का ख्वाब चकनाचूर हो गया, बरात बगैर दुल्हन के वापस लौट गयी, और बेटी के भागने की खबर सुन साधना के बाबू जी को हार्ट अटैक आ गया, वो वही गिर पड़े लोगो ने उनको कानपुर के चाँदनी नर्शिंग होम भर्ती करायाए जहा वो जिंदगी की जंग लड़ रहे है, उधर राम नारायण की पत्नी समझ नहीं पा रही की वो आंसू बहाए तो किसके लिए, अपने पति की हालत पर या बेटी ने जो कदम उठाया उस पर।

बहरहाल साधना के परिजनों ने कल्यानपुर थाने में पुलिस को ये सुचना तो दे दी है की उनकी बेटी को मोहल्ले का ही एक लड़का उसे भगा ले गया है, मगर लिखित कोई तहरीर नहीं दी है। उधर थाने के एस ओ का कहना है की जब तक कोई लिखित तहरीर नहीं दी जाती हम इसपर कोई कारवाही नहीं कर सकतेए क्योकि दोनों बालिग़ है।

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