केंद्र ने नीतीश को दिया 12 हजार करोड़ का ‘स्पेशल’ पैकेज

भाजपा से दूर जाते दिख रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस ने अपने करीब लाने की कोशिश शुरू कर दी है। मोदी पर गरज रहे नीतीश को 12 हजार करोड़ को मोटी सौगात देकर केंद्र ने अपने पत्ते खेल दिए हैं। इस बाबत गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में बिहार को स्पेशल पैकेज दिए जाने के फैसले पर मंजूरी दे दी। अब सवाल यह खड़ा होता है कि क्या यह 12 हजार करोड़ का स्पेशल पैकेज नीतीश कुमार को लुभा पाएगा।

हालांकि नीतीश कुमार ने बिहार के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का पैकेज मांगा था। राज्या को सालाना 3000 करोड़ रुपये चार वर्षों तक मिलेंगे। योजना आयोग ने पिछले साल इस राशि का आधा ही राज्य को आवंटित किया था। इस राशि का इस्तेमाल पर्यावरणए ऊर्जा, जल संसाधनए सड़कों व हाइवेज जैसी परियोजनाओं में करेगी। 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत उत्तजर प्रदेश और ओडिशा को भी अनुदान दिया जाएगा। हालिया फैसले के बाद केंद सरकार पिछडे़ क्षेत्रों के अनुदान कोष से बिहार को 12,000 करोड़ देगी। ये रकम 12वीं योजना के तहत उसे अगले चार सालों में मिलेगी।

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भाजपा की तरफ से नरेन्द्र मोदी को PM उम्मीदवार बनाने की संभावना का नीतीश खुलकर विरोध कर रहे हैं। इससे कांग्रेस को नीतीश में अपना भावी सहयोग नजर आ रहा है। दरअसल, जेडीयू के अपने प्रमुख घटक दल बीजेपी के साथ हो रही खींचातानी को कांग्रेस अपने लिए एक बड़ी संभावना के तौर पर देख रही है। उसे लगता है कि धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर जेडीयू के साथ उसकी जुगलबंदी हो सकती है। यही वजह है कि पहले केंद्र सरकार की तरफ से जारी आर्थिक सर्वेक्षण और बाण में आम बजट 2013 में वित्त मंत्री पी. चितम्बरम ने विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की मौजूदा परिभाषा को बदलने की बात कही बदले नीतीश ने भी बजट के प्रस्तावों का स्वागत किया। बाद में केंद्र की तरफ से बताया गया कि अगले 2.3 महीनों में विशेष राज्य घोषित करने की मौजूदा निति बदल जायेगी जिससे कि बिहार की केंद्र से ज्यादा अनुदान मिलने लगेगा।

बरहाल BRGF के तहत मिली राशी का इस्तेमाल बिहार के 38 जिलों में स्थानीय जरूरतों के हिसाब से किया जाएगा। पंचायत और स्थानीय निकायों के मार्फ़त धन खर्च किया जाता है। BRGF के तहत राज्यों में सामाजिक दृ आर्थिक विकाश के लिए केंद्र से धन मुहैया कराने की योजना वर्ष २००६ से लागू की गई हैं BRGF लेकिन कई बार केंद्र इस पैकेज का इस्तेमाल अपने राजनीतिक हित साधने के लिए करती है ।

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