जानिए, इस विधायक की दबंगई के खिलाफ लड़ रहा पत्रकार, UP सरकार की न्याय व्यवस्था पर खड़ा हुआ सवाल

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कानपुर: सूबे की अखिलेश सरकार को विपक्षी दल कानून व्यवस्था को लेकर सदैव ही आड़े लेते चले आ रहे हैं और इस उदाहरण को एक मामला पूरी तरह से चरित्रार्थ भी कर रहा है। महानगर में एक विधायक के आंतक का शिकार हुआ एक पत्रकार न्याय पाने के लिए दो वर्षों से लड़ाई लड़ रहा है उसकी अर्जियों पर सूबे के दो डीजीपी आदेश दे चुके हैं कि मामला दर्ज किया जाये लेकिन जिले के अधिकारी विधायक के रसूख के आगे बौने दिखे और आज तक पत्रकार को न्याय नहीं दिला सके। इसीलिए वर्तमान शासन व्यवस्था पर आम आदमी अपने आपको ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है। ऐसा कहने में जरा भी गुरेज नहीं कि कानून व्यवस्था अब रसूखवालों की रखैल बन चुकी है।

बताते चलें कि महानगर के शैलेश शर्मा पत्रकार को कांग्रेसी विधायक अजय कपूर के रसूख के आगे न्याय मिलता नहीं दिख रहा है।

कृष्णा नगर निवासी शैलेश शर्मा पेशे से पत्रकार हैं और आज से दो सालो पूर्व टीवी 24 न्यूज चैनल में बतौर रिपोर्टर कार्यरत थे। श्री शर्मा को कृष्णा नगर में ही रहने वाले कमल भाटिया के अनैतिक कार्यो की जानकारी हुई। कमल भाटिया ने क्षेत्र के आस पास की ग्राम समाज और तालाब की जमीनों को तहसील और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से बेंच डाला था। इस खबर को चलाने के बाद कमल भाटिया जो कि विधायक अजय कपूर का गुर्गा है ने रणविजय नाम के गुंडे को भेज कर शैलेश शर्मा पर चाकू से जानलेवा हमला करवाया। गंभीर रूप से घायल शैलेश को हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया। कई दिनों तक भर्ती रहने के बाद जब वो रिपोर्ट लिखाने चकेरी थाने गया तो तत्कालीन थानाध्यक्ष आलोक यादव कई दिनों तक उसे टहलाते रहे और उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी।

उसके बाद शैलेश शर्मा जब एसएसपी और आईजी के पास रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए दौड़ने लगे तो थानाध्यक्ष आलोक यादव ने शैलेश को थाने में बुला कर धमकाया और कहा कि अगर तुम रिपोर्ट लिखवाने के लिए अधिकारियो के पास गए तो तुम्हारे खिलाफ इतने मुकदमे लिखवा दूंगा कि तू पूरी जिंदगी भर जेल में चक्की पीसता रहेगा। शैलेश ने बताया कि आलोक यादव की धमकियो से जब वह नहीं डरे तो आलोक यादव ने कल्लू वर्मा नाम के व्यक्ति के द्वारा जिसे वह जानते भी नहीं थे की फर्जी तहरीर के आधार पर मारपीट का मुकदमा दाखिल कर दिया और उसे थाने में बंद कर दिया।

शैलेश ने आगे बताया कि दूसरे दिन वो कल्लू वर्मा जिसको आलोक यादव ने उसे फंसाने के लिए मोहरा बनाया था खुद थाने आया और उसने थाने में यह यह लिखित प्रार्थना पत्र दिया कि उसकी शैलेश शर्मा से कोई लड़ाई नहीं हुई थी और न ही उसने शैलेश के खिलाफ कोई तहरीर दी है। कल्लू वर्मा के इस लिखित प्रार्थना पत्र के बाद आलोक यादव की पोल खुल गई। शैलेश का कहना है कि आलोक यादव के इस घृणित खेल की जानकारी उन्होंने तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर से लेकर आईजी और डीआईजी सभी को अवगत कराया लेकिन कांग्रेसी विधायक अजय कपूर के हस्तक्षेप के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस घटना का सबसे दुखद पहेलू यह है जो दर्शाता है कि बाहुबलियो के आगे किस तरह बड़ी बड़ी व्यवस्थाएं घुटने टेक देती है। विधायक ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए शहर से उस चैनल का प्रसारण भी प्रभावित किया था लेकिन उसके बाद भी शैलेश ने हिम्मत नहीं हारी। आखिर में वह तत्कालीन डीजीपी एके बनर्जी से मिला और अपना दुखड़ा रोया। इस पर उन्होंने एसएसपी शलभ माथुर को एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए लेकिन दबंग विधायक अजय कपूर के साथ गलबहियां करने वाले शलभ माथुर ने डीजीपी के आदेश को भी धता बता दिया था।

इसी बीच कमल भाटिया ने अपने गुंडे भेज कर शैलेश शर्मा का अपहरण करने की भी कोशिश की लेकिन किसी तरह वह जान बचा कर भाग आया था। इतनी लंबी लड़ाई के बाद कोई भी पीछे हट सकता था लेकिन संघर्षशील शैलेश तब भी पीछे नहीं हटे और इसी बीच डीजीपी का ट्रांसफर होने के बाद दूसरे डीजीपी बीके गुप्ता से मिले तो उन्होंने कानपुर डीआईजी को जांच के आदेश दिए। वह जांच आज भी डीआईजी के पास लंबित है लेकिन सैंया भैये कोतवाल तो अब डर काहे का। ऐसा कहना अनुचित न होगा कि जब मुख्यमंत्री का खासमखास विधायक हो जो तोे उसके खिलाफ कैसे कार्रवाई सम्भव….?