2006 के मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस : 5 दोषियों को फांसी की सजा

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मुंबई: मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सीरियल बम विस्फोटों के नौ वर्ष बाद एक विशेष मकोका अदालत ने बुधवार को यहां मामले के 12 दोषियों में से पांच को मृत्युदंड और शेष को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इन विस्फोटों में 188 लोग मारे गए थे।

विशेष न्यायाधीश यतीन डी शिंदे ने फैसला सुनाते हुए कमाल अहमद अंसारी (37), मोहम्मद फैजल शेख (36), एहतेशाम सिद्दीकी (30), नवीद हुसैन खान (30) और आसिफ खान (38) को मौत की सजा सुनाई। इन पांचों लोगों ने बम लगाए थे।

इसके अलावा तनवीर अहमद अंसारी (37), मोहम्मद माजिद शफी (32), शेख आलम शेख (41), मोहम्मद साजिद अंसारी (34), मुज्जम्मिल शेख (27), सोहैल महमूद शेख (43) और जमीर अहमद शेख (36) को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

अदालत ने सजा को लेकर पिछले सप्ताह दोनों पक्षों की दलीलों की सुनवाई पूरी की थी। इस दौरान अभियोजन पक्ष ने 12 में से आठ आरोपियों को मृत्युदंड दिए जाने और चार अन्य के लिए आजीवन कारावास की मांग की थी।

विशेष मकोका अदालत ने 23 सितंबर को सजा को लेकर अपना फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले अदालत ने 11 सितंबर को 13 में से 12 आरोपियों को दोषी करार दिया था जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया गया था। इन सभी के प्रतिबंधित संगठन सिमी से कथित संबंध रहे हैं।

आरोपियों को भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक अधिनियम, गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकथाम अधिनियम, भारतीय रेलवे अधिनियम और मकोका के प्रावधानों के तहत दोषी पाया गया था।

अदालत ने सभी 12 आरोपियों को मकोका की धारा 3(1) (आई) के तहत भी दोषी पाया, जिसके तहत मृत्युदंड की सजा सुनाई जा सकती है। इन 13 आरोपियों को मामले की जांच के दौरान गिरफ्तार किया गया था और उनके खिलाफ मामले की सुनवाई की गई। ये सभी भारतीय हैं। हालाँकि अभी भी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य आजम चीमा समेत 13 पाकिस्तानी नागरिक इस मामले में फरार हैं।

गौरतलब है कि मुंबई में 11 जुलाई, 2006 को पश्चिमी रेलवे की उपनगरीय रेलगाड़ियों की सात बोगियों में शाम 6.23 बजे से 11 मिनट के भीतर सात सिलसिलेवार आरडीएक्स बम विस्फोट किए गए थे, जिसमें 189 यात्रियों की जान चली गई थी, जबकि 817 लोग घायल हो गए थे. ये सिलसिलेवार सात बम विस्फोट मुंबई और ठाणे जिलों के बीच माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, बोरीवली और मीरा रोड स्टेशन पर हुए थे।

आठ साल तक चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने करीब 5,500 पन्नों के बयान के साथ ही यात्रियों, विस्फोट में बाल-बाल बचे लोगों, चिकित्सकों, पुलिसकर्मियों और अन्य लोगों सहित 188 गवाह भी पेश किए।