लोकसभा में पास हुआ फूड बिल

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food billलोकसभा ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी मिलने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में शामिल हो जाएगा, जो अपनी अधिकांश आबादी को खाद्यान्न की गारंटी देते हैं। इसका उद्देश्य देश के करीब 80 करोड़ लोगों यानी 67 प्रतिशत आबादी को रियायती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है।

केंद्रीय खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सदन को आश्वस्त किया कि इसे लागू करने के दौरान सभी खामियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। इससे पहले विधेयक पर चर्चा और इसे पारित करने का प्रस्ताव पेश करते हुए खाद्य मंत्री ने कहा था कि योजना के माध्यम से लाभान्वितों को पोषणयुक्त खाद्यान्न मिलेगा।

11,30,000 करोड रुपये के सरकारी समर्थन से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम दुनिया का सबसे बडा कार्यक्रम होगा। इसके लिए 6.2 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। यह विधेयक प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो चावलए गेहूं और मोटा अनाज क्रमशरू 3, 2 और 1 रुपये प्रति किलो के तयशुदा मूल्य पर गारंटी करेगा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत कवर लगभग 2.43 करोड़ अत्यंत गरीब परिवारों को हालांकि 35 किलो खाद्यान्न प्रति परिवार प्रति माह मिलेगा।

हालांकि, विधेयक पर चर्चा के दौरान सोनिया और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित सभी दलों के प्रमुख नेता सदन में मौजूद रहे। लेकिन इस पर मतदान के समय सोनिया स्वास्थ ठीक न होने के कारण सदन में नहीं थी। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए खाद्य मंत्री के वी थामस ने इस आरोप से इंकार किया कि विधेयक का मसौदा तैयार करते समय राज्यों से विचार विमर्श नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि राज्यों से चार बार सलाह मशविरा किया गया था।

उन्होंने इन चिन्ताओं को भी खारिज किया कि नये उपायों से राज्यों के अधिकारों का हनन होगा।
थामस ने कहा कि जब केन्द्र और राज्य मिलकर काम करेंगे, तभी यह कानून सफल होगा। हम देश की संघीय व्यवस्था को बनाये रखेंगे। हम इसे कमजोर नहीं करना चाहते।

लेकिन लोकसभा में उस वक्त सरकार की किरकिरी हो गई, जब खाद्य सुरक्षा बिल के एक उपबंध को लेकर सत्ता पक्ष ने सपोर्ट के बजाय विरोध में वोटिंग कर दी। दरअसर अध्यक्ष मीरा कुमार किसी उपबंध पर मत विभाजन करा रही थीं और सत्ता पक्ष के सदस्यों को उसके पक्ष में मतदान करना था, लेकिन उन्होंने उस उपबंध को संभवतर: गलती से नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज का संशोधन समझकर विरोध में मतदान कर दिया।