स्कूल संचालकों द्वारा फीस के नाम पर जबरन वसूली

Like this content? Keep in touch through Facebook

2222दिल्ली में निजी स्कूल संचालकों की मनमानी को उजागर करना और फीस के नाम पर जबरन वसूली गई राशि को ब्याज सहित लौटाने की सिफारिश निश्चय ही स्वागतयोग्य कदम है। फीस मामले की जांच को लेकर गठित जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी हाईकोर्ट को सौंप दी है, जिसमें 73 गैर सहायक प्राप्त प्राइवेट स्कूल दोषी पाए गए हैं। इनमें में इस तरह कर गोरखधंधा गंभीर चिंता का विषय है।

इन पर निरंतर निगरानी रखने की जरूरत है। दिल्ली के अधिकतर निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिले व फीस को लेकर सवाल उठते रहे हैं। बच्चों के बार-बार दौड़ाने के साथ मोटी रकम वसूलने से भी नहीं चूकते। जहां कई निजी स्कूल प्वांइट निर्धारण में मनमानी करते हैं तो कई दाखिला प्रक्रिया में बेवजह परेशानी खड़ी करते हैं। विरोध व निर्देश के बाद भी हर साल अभिभावकों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ता है। अधिकांश स्कूलों में फीस से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की जाती है। तो कुछ स्कूल ईडब्लूएस कोटे से दाखिला संबंधी फार्म लेने से मना कर देते हैं।

इस बार की भी स्थिति ऐसी ही बन रही है।निजी स्कूलों के रवैये को देखते हुए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी स्कूलों में नर्सरी दाखिला निर्धारित नियमों के अनुसार हो। सख्त निर्देशों के बाद भी गड़बडि़यां मिलने पर संबंधित जिनी स्कूलों को बक्शा नहीं जाना चाहिए। शिक्षा निदेशालय को पूरी दाखिला प्रक्रिया व फीस पर सतर्क निगरानी रखनी होगी, ताकि प्रवेश नियमों के अनुरूप हो, फीस के नाम पर वसूली न हो, आरक्षित कोटे के तहत किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और अभिभावकों को बेवजह परेशान न किया जा सके।

अभिभावकों को भी समझना होगा कि उनकी मजबूरी का कोई गलत फायदा न उठा सके। बच्चे के भविष्य के लिए बेहतर प्रयास करना अच्छी बात है पर इसके लिए दिखावे में अंधी दौड़ लगाना उचित नहीं कहा जा सकता। ऐसे स्कूलों में जहां मानक व नियम दुरूस्त न हों वहां बच्चों को डालने से बचना चाहिए। इन स्कूलों को विकल्प ढूंढना चाहिए। दिल्ली में बहुत सारे सरकारी व गैरसरकारी स्कूल हैं जहां बच्चों को अच्छी शिक्षा के साथ सुरक्षा भी मुहैया कराई जा रही है। जबकि जिन स्कूलों के लिए मारामारी मच रही है वहां भी इन सब चीजों की गारंटी नहीं दी जा सकती।