बचपन शब्द सुनते ही हम अपने मन की सुनहरी यादों मॆ कहीं खो जाते हैं. बचपन की कल्‍पना करने भर से ही एक अजीब सा एहसास होता है और याद आती है हम्जोलियाँ स्‍कूल और शरारतों की, पर दिनों दिन बढ रही व्‍यस्‍तता और आधुनिकता की अंधी दौड़ में...

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मुंबई : सृष्टि के पिता अपनी किसी मज़बूरी और समाज के डर से अपनी बेटी को एक मंदबुद्धि लड़के से शादी करने के लिए कहते हैं और इसे परमात्मा की मर्जी बताते है ..तो सृष्टि कहती है। “पापा हमने कभी परमात्मा की मर्जी जानी ही नहीं बस वही किया...

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