दुनिया की सभी स्त्री को अपनी मुक्ति के लिए अपने व्यक्तित्व को खड़ा करने की दिशा में सोचना चाहिए। प्रयोग करने चाहिए। लेकिन ज्यादा से ज्यादा वह क्लब बना लेती है, जहां ताश खेल लेती है, कपड़ों की बात कर लेती है, फिल्मों की बात कर लेती है, चाय-कॉफी...
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आज का युवा जहां रूढ़ीवाद, परंपरागत, कर्मकांडी सोच और बाबाओं के चक्कर में फंसा हुआ है वहीं वह पाश्चात्य सभ्यता का अनुसारण कर नशे और सेक्स में
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ओशो कहते हैं मैं अकेला महसूस करता हूँ, जो कि ठीक हैं लेकिन मैं भ्रमित हूँ। मैं नहीं जानता कि क्या हो रहा है। मेरे भीतर चीजें बदल रही हैं इसलिए कभी-कभी मैं आतंकित हो जाता हूँ, कभी-कभी अस्थिर अहसास होते हैं। यह स्वाभाविक है। जब कभी तुम...
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यदि आप सच में विचार करेंगे तो यही जानेंगे कि हमारे जीवन में कोई रहस्य है ही नहीं। या आप यह भी कह सकते हो कि जीवन खुला रहस्य है। सब कुछ उपलब्ध है, कुछ भी छिपा नहीं है। तुम्हारे पास देखने की आंख भर होनी चाहिए।
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