समय से पहले चुनाव की तैयारी में लगी टीम BJP

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rajnath-singh-bjpसमय दर समय चल रहे लोकसभा चुनावी अटकलों के बीच समय से पहले ही BJP भी चुनाव की तैयारियों में लग गई है। बूथ स्तर पर प्रबंध से लेकर चुनावी मुद्दों और अंतिम चुनावी प्रचार तक की रणनीति को अमलीजामा पहनाने का काम शुरू हो गया है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पूरे देश से आए प्रदेश अध्यक्षों और संगठन मंत्रियों को आगे का कार्यरूप थमाकर जीत के लिए लड़ाई की रणनीति बनाई। तो वहीं दमसरी ओर गुजाररत के मुख्मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आक्रामक रणनीति और सोशल मीडिया का सहारा लेकर जनता का दिल जीतने का सुझाव दिया।

जब दिल्ली में राजनाथ की नई टीम बैठी तो सभी की नजर चुनाव पर थी। राजनाथ के साथ-साथ लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और दूसरे नेताओं ने संबोधित किया। राजनाथ ने संगठन को नीचे तक मजबूत करने के साथ चुनावी तैयारी का निर्देश दिया। उनके अनुसार पूरी तैयारी इस तरीके से चाहिए कि समय से पहले चुनाव हों तो भी पार्टी हर संसदीय क्षेत्र में इसके लिए तैयार रहे।

सभी मुद्दों को लेकर कार्यकर्ता हमेशा अपने को जागरूक रखें और नेताओं तथा कार्यकर्ताओं के बीच पूरा ताल-मेल हो। चुनाव में पार्टी ’सुशासन संकल्प, BJP विकल्प का नारा लेकर उतरेगी। राजनाथ ने कहा कि कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनाक्रोश है और BJP के लिए अनुकूल माहौल बना हुआ है। हमें जरूरत सिर्फ कमर कसकर रखने की है। खासकर बूथ लेवल प्रबंधन बहुत आवश्यक है। राजनाथ ने नेताओं को बयानबाजी से भी बचने के लिए हिदायत दी। उन्होंने कहा, मुझे पता है कि आप में से कई लोगों को नए-नए प्रधानमंत्री बनाने की क्षमता है, लेकिन यह काम आप लोग पार्टी पर छोड़ दीजिए।

वहीं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेटली ने अपने तर्कों के बल पर नेताओं का मनोबल बढ़ाया। 2009 चुनावी परिणामों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि संप्रग को मुख्यतः छह राज्यों से शक्ति मिली थी। अब सभी छह राज्यों, ततिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिम बंगाल और द्रमुक साथ छोड़ चुका है तो आंध्र में पार्टी टूट चुकी है। दूसरे राज्यों में भी इस बार स्थिति ठीक नहीं है। तो सुषमा स्वराज का कहना है कि BJP के सुशासन की बात करते हुए दूसरे राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का भी उल्लेख करना चाहिए। राजनीतिक सत्र काल के सुशासन का हवाला देते हुए आने वाले चुनाव के लिए महंगाई, भ्रष्टाचार और काले धन को चुनावी मुद्दा बना कर आगे बढ़ना चाहिए।