पेशावर के पास बाचा खान यूनिवर्सिटी में आतंकी हमला, 25 लोगों के मारे जाने की पुष्टि, 4 आतंकी ढेर

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पाकिस्तान के चरसद्दा की बाचा खान यूनिवर्सिटी में बुधवार सुबह तहरीक-ए-तालिबान ने हमला कर दिया। उस वक्त यूनिवर्सिटी में मुशायरा चल रहा था। कैम्पस में 3000 स्टूडेंट्स थे। आतंकियों ने एके-47 से फायरिंग की। 7 ब्लास्ट किए। स्टूडेंट्स के सिर में गोली मारी। इसमें 21 लोगों की जान चली गई। 50 से ज्यादा घायल हैं। 6 घंटे बाद चार हमलावर मारे गए। 13 महीने पहले इसी तालिबान ने पेशावर के आर्मी स्कूल पर हमला किया था।

हमले के दौरान बचाए गए छात्रों ने बताया था कि आतंकियों ने 60 से 70 छात्रों के सिर में गोली मार दी। पुलिस के मुताबिक, यूनिवर्सिटी से शवों को बाहर निकाला जा रहा है। कैंपस में मौजूद छात्रों, शिक्षकों और अन्य लोगों को बचाने के लिए सुरक्षाबलों रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। स्थानीय पुलिस के मुताबिक, अब तक चार आतंकी मारे जा चुके हैं।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली जिम्मेदारी

सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है। आतंकियों के साथ मुठभेड़ जारी है। हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली है। इससे पहले भी पाकिस्तान में हुए कई आतंकी हमलों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का नाम सामने आया है। तालिबान के अलावा पाकिस्तान में कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं जो भारत समेत तमाम पड़ोसी देशों के लिए मुसीबत साबित होते रहते हैं। स्थानीय पुलिस ने बताया है कि फिलहाल घटनास्थल पर फायरिंग रुक गई है। आतंकियों की तलाश में सर्च ऑपरेशन जारी है।

बाचा खान यूनिवर्सिटी में हुआ है हमला

यह हमला पेशावर से 40 किलोमीटर दूर नॉर्थ में चारसद्दा में स्थित बाचा खान विश्वविद्यालय में हुआ। जहां बुधवार की सुबह 9 बजे के आसपास आतंकियों ने हमला करके सनसनी फैला दी। उन्होंने परिसर में आते ही अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी परिसर में 10 धमाके भी सुने गए।

हमले के वक्त 3600 से ज्यादा छात्र थे मौजूद

हमले के वक्त विश्वविद्यालय परिसर में लगभग 3600 छात्र मौजूद थे। हमले के मद्देनजर पेशावर में सभी अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है।

सुरक्षाबलों ने यूनिवर्सिटी परिसर को घेरा

हमले की सूचना मिलते ही पुलिस ने विश्वविद्यालय को घेर लिया है। वहां आतंकियों से निपटने के लिए सेना बुलाई गई। सेना और सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन चलाया। हमले के दौरान एक प्रोफेसर हमीद, और एक गार्ड के मारे जाने की भी खबर है।

कैसे घुसे आतंकी?

हमले के वक्त घना कोहरा था। इसी का फायदा उठाते हुए 4 आतंकी बाॅयज होस्टल के पास पिछली दीवार लांघकर घुसे।
आतंकी क्लासरूम्स और मुशायरे वाले जगह पहुंच गए। एके-47 से फायरिंग शुरू कर दी और एक के बाद एक ब्लास्ट कर दिए।

हॉस्टल में छिपे हैं आतंकी

बताया जा रहा है कि आतंकी विश्वविद्यालय के हॉस्टल में छिपे थे। बुधवार को विश्वविद्यालय में एक मुशायरा भी होना था, जिसके लिए बाहर से कई मेहमान भी वहां आए हुए हैं। मुशायरे के लिए आए करीब 600 गेस्ट भी फंस गए थे। सुरक्षा बलों ने छात्रों, अध्यापकों और स्टॉफ के साथ साथ मेहमानों को भी सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान चलाया।
चारसद्दा के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक आतंकी विश्वविद्यालय के बैक गेट से परिसर में दाखिल हुए थे। जब हमला शुरू हुआ तो वहां अफरा तफरी मच गई। छात्र कमरों में जाकर छिप गए।एक चश्मदीद छात्र के मुताबिक वे तकरीबन एक घंटे तक बाथरूम में छिपे रहे।

क्या है तहरीक-ए-तालिबान?

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान अफगानिस्तान के तालिबान से अलग होकर वजूद में आया। यह 2007 में बना था। तब 13 आतंकी ग्रुप्स ने तहरीक (मुहिम) में शामिल होने का फैसला किया था। यह आतंकी संगठन भी पाक में शरिया लागू करना चाहता है।

हमले के पीछे 132 बच्चों की जान लेने वाला वही बदनाम चाइल्ड किलर

रॉयटर्स के मुताबिक, तहरीक-ए-तालिबान के गीदर ग्रुप ने ही इस हमले को अंजाम दिया है। मास्टरमाइंड ग्रुप का कमांडर उमर मंसूर है। मंसूर दिसंबर 2014 में पेशावर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमले का मास्टरमाइंड था। इसमें 132 बच्चों की जान गई थी। वह टीटीपी के सरगना हकीमुल्ला मसूद का करीबी रहा है और पेशावर के पास दर्रा आदम खेल का रहने वाला है। 37 साल का मंसूर कभी वॉलीबॉल प्लेयर था। उसके दो बेटे और एक बेटी हैं। इसके बाद भी वह बच्चों को टारगेट करता है। पेशावर हमले के बाद से वह ‘चाइल्ड किलर’ के तौर पर बदनाम है। मंसूर इतना खतरनाक है कि तालिबान के जो आतंकी फौजियों या बच्चों पर जरा-सा भी रहम दिखाते हैं, वह उन्हें भी मार डालता है। वह अकसर अफगानिस्तान-पाकिस्तान बॉर्डर को पार करता है और अफगानिस्तान से हथियार लेकर आता है।

19 महीने से ऑपरेशन, 11 हजार सैनिक, 190 अरब रुपए खर्च, फिर भी हो गया हमला?

पाकिस्तानी आर्मी उत्तरी वजीरिस्तान में जून 2014 से ऑपरेशन जर्ब-ए-अज्ब चला रही है। इस पर अब तक 190 अरब रुपए खर्च हुए हैं। इस अॉपरेशन की इस वजह से 10 लाख लोगों को घर छोड़ने पड़े हैं। यह पूरा कबाइली इलाका है। कबीले तालिबान के खिलाफ आर्मी की मदद कर रहे हैं। ऑपरेशन से तालिबान को नुकसान पहुंचा। 19 महीने उसके 3400 से ज्यादा आतंकी मारे गए। पाकिस्तान आर्मी के भी 500 अफसर और जवान शहीद हुए। करीब 2000 से ज्यादा लोग घायल हुए। पाकिस्तान की फौज और नवाज शरीफ की सरकार इस ऑपरेशन की कामयाबी का दावा कर अमेरिका से करोड़ों डॉलर की मदद ले रही है। इसके बावजूद इसी रीजन में लगातार हमले हो रहे हैं। असल में जितने आतंकी मारे जा रहे हैं, उससे ज्यादा नए आतंकी भर्ती हो रहे हैं।

पेशावर आर्मी स्कूल पर हमले से नहीं लिया सबक?

जर्ब-ए-अज्ब ऑपरेशन के खिलाफ तहरीक-ए-तालिबान ने दिसंबर 2014 में पेशावर के आर्मी स्कूल पर हमला किया था।
132 बच्चों की जान जाने के बाद तालिबान के खतरे के कारण पाकिस्तान को सिर्फ पेशावर में स्कूलों की हिफाजत के लिए आर्मी की तैनाती हुई थी। पेशावर के आसपास भी एजुकेशन इंस्टिट्यूट्स में सिक्युरिटी बढ़ाई गई थी। 11 हजार जवानों की टुकड़ी पेशावर और आसपास तैनात की गई थी। इतनी बड़ी तैनाती के बावजूद पेशावर के पास बाचा खान यूनिवर्सिटी में यह हमला हो गया।

नवाज शरीफ ने जताया दुख

विदेश दौरे पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आतंकी हमले को लेकर दुख जताया है। उन्होंने कहा, ‘यह हमला अफसोसजनक है। पाकिस्तान आतंकवाद के खात्मे के लिए प्रतिबद्ध है।