चीनी घुसपैठ पर मोदी ने शी जिनपिंग से की खुलकर बात

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india-china 3 091714082947चीनी सैनिकों के घुसपैठ के बीच गुरुवार को नई दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की शिखर वार्ता हुई।

सीमा पर हाल में चीन की ओर से बढ़ी घुसपैठ की घटनाओं पर चिंता करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने सीमा पर हुई घटनाओं के लेकर चिंता जताई है। यह महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते की पूर्ण संभावना को हकीकत बनाने के लिए सीमा पर शांति और आपसी भरोसा हो। वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, यह काम कई सालों से रुका हुआ है और यह काम शुरू होना चाहिए।’ मोदी की बात का जवाब देते हुए चिन फिंग ने कहा कि यह समस्या इतिहास से चली आ रही है और दोनों देशों को जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच शिखर बैठक के बाद दोनों देशों के बीच 12 समझौतों हुए हैं। भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी घुसपैठ और उसकी वीजा नीति का मुद्दा भी उठाया। चिनफिंग के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि जहां हमने संबंधों को बढ़ाने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की है, वहीं मित्रता की दृष्टि से कुछ कठिन विषयों पर भी बात की है। चीन की ओर से घुसपैठ का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा पर हुईं घटनाओं के लेकर मैंने चिंता जताई है। मोदी ने कहा कि चीन की वीजा नीति और दोनों देशों में बहने वाली नदी (ब्रह्मपुत्र) को लेकर उसकी नीति को लेकर भी मैंने चिता जताई है।

चीनी राष्ट्रपति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विकास के लिए शांति जरूरी है। उन्होंने भारतीय रुख का समर्थन करते हुए कहा कि चीन जल्द से जल्द सीमा विवाद सुलझाने का इरादा रखता है। चिन फिंग ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे की चितांओं का ध्यान रखेंगे और सीमा की घटनाओं का रिश्तों पर असर नहीं पड़ने देंगे। उन्होंने भारत, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश के बीच आर्थिक कॉरिडोर बनाने की भी बात की है।

मोदी ने अपने बयान के शुरू में कहा, ‘चीन के राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए काफी खुशी हो रही है। मुझे इस बात की खुशी है कि मेरी सरकार बनने के कुछ दिनों के ही भीतर वह भारत आए हैं। चीन भारत का सबसे बड़ा पड़ोसी देश है और दोनों देश बड़े पैमाने पर आर्थिक और सामाजिक बदलाव के दौर से गुजर रहे हैं ।पिछले दो दिनों में अहमदाबाद और दिल्ली में हमें हर मुद्दे पर बात करने का मौका मिला है। फैसला हुआ है कि हम आदान-प्रदान को बढ़ाएंगे और शिखर बैठकें अधिक करेंगे।

दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि क्षमता से कम व्यापार हो रहा है और व्यापार अंसुतलन भी है। हमने चीन में भारतीय कंपनियों के निवेश पर लगी पाबंदियों में ढील देने का आग्रह किया है। उन्होंने इस पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है। मैंने इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में चीन को निवेश का न्योता दिया है। मुझे इस बात की खुशी है कि चीन दो इंडस्ट्रियल पार्क बनाएगा।’