ISRO के आज के मिशन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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नई दिल्ली: अंतरिक्ष कार्यक्रमों से संबंधित मिशन की दिशा में भारत शुक्रवार को नया कीर्तिमान रचने की ओर है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) शुक्रवार को अपने सबसे भारी वाणिज्यिक मिशन को प्रक्षेपित करेगा। इस मिशन को PSLV-C28 प्रक्षेपण यान से प्रक्षेपित किया जाएगा. आगे जानिए ISRO के इस मिशन की खास बातें।

1. ब्रिटेन के पांच उपग्रहों को पीएसएलवी रॉकेट के जरिए लांच किया जाएगा
2. पीएसएलवी रॉकेट का यह 30वां मिशन हैi
3. इसे मिशन में ले जाए जाने वाले पांचों उपग्रह का कुल वजन 1440 किलोग्राम है
4. इसरो और इसकी वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स के लिए यह अब तक का सबसे भारी मिशन है
5. इस मिशन के जरिए तीन एक जैसे डीएमसी3 ऑप्टिकल सेटेलाइट को प्रक्षेपित किया जाएगा
6. इनका सेटेलाइट्स को ब्रिटेन की स्युरे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड ने बनाया है
7. इन तीन डीएमसी3 सेटेलाइट्स के अलावा दो सहायक माइक्रो सेटेलाइट को भी लांच किया जाना है
8, ब्रिटेन के तीन डीएमसी-3 उपग्रहों को 647 किमी दूर सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा
9. इस मिशन की सफल लॉन्चिंग के साथ ही भारत कमर्शियल प्रक्षेपण करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा
10. इन सेटेलाइट्स को लॉन्चर पर चढ़ाने के लिए इसरो ने दो खास एडॉप्टर तैयार किए हैं

11. डीएमसीआइआई और एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लि. के बीच हुए करार के तहत प्रक्षेपण किया जा रहा है

क्या है ISRO
यह भारत सरकार के स्पेस डिपार्टमेंट के तहत एक संगठन है। इसका कार्य स्पेस टेक्नॉलोजी का विकास तथा उसका देश के विकास के लिए विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग संभव बनाना है। यह दो प्रमुख सेटेलाइट सिस्टम क्रमश: संचार सेवाओं के लिए इनसेट, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए आईआरएस संचालित करता है। इनसेट सेटेलाइट को यह लांच व्हीकल जीएसएलवी तथा आईआरएस सेटेलाइट को पीएसएलवी के जरिये लांच करता है। इसरो दूरसंचार, प्रसारण, वातावरणीय इस्तेमाल के लिए संचार सेटेलाइट तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए दूर संवेदी (रिमोट सेंसिंग) सेटलाइट निर्मित करता है तथा लांच भी करता है। इसकी स्थापना 1969 में हुई। इसका हेडक्वार्टर बंगलुरु में है। यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी अंतरिक्ष एजेंसी है। यही काम पहले आईएनसीओएस पीएआर कमेटी करती थी जिसके पहले अध्यक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई थे। बाद में कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक व हस्तियां इसके अध्यक्ष रहे जिनमें प्रो. सतीश धवन तथा यूआर राव शामिल हैं। वर्तमान में इस संगठन के प्रमुख ए.एस. किरण कुमार हैं।

ISRO के कार्य
स्पेस साइंस मिशन, सेटेलाइट लांच, लांच व्हीकल, सेटकॉम उपयोग, दूरसंवेदी उपयोग तथा विलेज रिसोर्स सेंटर जैसे कई क्षेत्रों में वर्तमान में इस संगठन की सक्रियता है। रक्षा, शिक्षा, टेलीमेडिसिन एवं बायोडायवर्सिटी सूचनाओं के क्षेत्रों में भी यह संगठन भूमिका निभाता है।

ISRO की योजनाएं-कार्यक्रम
इसरो निकट भविष्य में एस्ट्रोसेट एस्ट्रोनोमी, सेटेलाइट मिशन व जीसेट शृंखला के उपग्रह तथा एनआई एसएआर (राडार सेटेलाइट) लांच करेगा। संगठन जीएसएलवी-एमके तथा रियूजेबल लांच व्हीकल आरएलवी-टीडी भी विकसित कर रहा है। चंद्रयान तथा वीनस मिशन के अलावा पुच्छल तारों से संबंधित मिशन भी इसरो की सूची पर है। सूर्य मिशन ‘आदित्य’ तथा स्पेस कैप्सूल रिकवरी एक्सपेरिमेंट भी योजना में शामिल है।

ISRO की उपलब्धियां, चुनौतियां
इसरो ने सन् 1975 में आर्य भट्ट नाम से पहला भारतीय उपग्रह लांच किया। उसके बाद साइट, एप्पल, इनसेट, आईआरएस, उसके सहयोग से मानव अंतरिक्ष मिशन, चंद्रयान तथा मंगल मिशन जैसी कई असाधारण सफलताएं इस संगठन के खाते में दर्ज हैं। क्रायोजेनिक इंजन संबंधी मुद्दे पर भी इसरो के वैज्ञानिकों ने देश की प्रतिभा की चुनौतियां स्वीकार करने संबंधी क्षमता का लोहा मनवाया। स्पेस कमिशन के अंतर्गत पीआरएल, एनएआरएल, एनई-सेक तथा सेमी कंडक्टर लेबोरेटरी (एससीएल) के अलावा एंटरिक्स आदि इसरो के सहयोगी संगठन हैं। देश के आम नागरिकों को इसरो के स्पेस मिशन व चंद्रयान के लाभ व भारी खर्च को लेकर कई बार कुछ विवाद भी उठाने की कोशिशें हुईं लेकिन आज दुनिया भी मानती है कि इस संगठन ने देश के आम नागरिक के विकास की दिशा में कई मील पत्थर स्थापित किये।