14 हजार लोगों को आधी रात को मिली आजादी

Like this content? Keep in touch through Facebook

भारत और बांग्लादेश की सीमा पर बसे हजारों लोगों के लिए शुक्रवार की आधी रात एक नई सुबह लेकर आई। ‘भूमि सीमा समझौते’ के तहत एक अगस्त से दोनों मुल्कों के बीच बस्तियों के ऐतिहासिक आदान-प्रदान का काम शुरू हो रहा है।

इसके साथ ही बांग्लादेशी गलियारे में रहने वाले 14 हजार लोगों को भारत की नागरिकता देने का काम भी शुरू हो गया। अगले 11 महीनों तक कई चरणों में बस्तियों की अदला-बदली का काम पूरा किया जाएगा। प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि ‘भारत और बांग्लादेश के बीच बहुप्रतीक्षित गलियारों का हस्तांतरण आज से शुरू हो रहा है। हमारे लिए यह एक ऐतिहासिक और यादगार दिन है।’

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के निधन के बाद राष्ट्रीय शोक के चलते इस ऐतिहासिक मौके पर कोई जश्न नहीं मनाया जाएगा। भूमि हस्तांतरण को लेकर दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच अंतिम बैठक शुक्रवार को राज्य के कूचबिहार जिले में हुई। इस दौरान दोनों देशों के बीच दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। साथ ही भारत अपने क्षेत्र के 111 एनक्लेव बांग्लादेश को सौंपेगा। इन बस्तियों का क्षेत्रफल 17,160 एकड़ है और भारत को बांग्लादेश से 51 गलियारा मिलेगा। इसके तहत भारत को 7,110 एकड़ भूमि प्राप्त होगी।

गौरतलब है कि एनक्लेव का यह आदान-प्रदान इसी साल छह जून को ढाका में भारत और बांग्लादेश के बीच एक करार पर दस्तखत के बाद हो रहा है। हालांकि, मूल रूप से भूमि समझौता 1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बांग्लादेशी समकक्ष शेख मुजीब के बीच हुआ था। 1975 में मुजीब की हत्या के बाद लंबे अरसे तक करार पर प्रगति रुकी रही। बाद की सरकारें बस्तियों के आदान-प्रदान पर सहमत नहीं हो पाईं।

इन बस्तियों में रहनेवाले लोग जन सुविधाओं से वंचित थे और काफी खराब हालत में जीवन व्यतीत कर रहे थे। करार होने के बाद यहां रहनेवाले लोगों को अपना देश चुनने की आजादी दी गई। पिछले महीने दोनों देशों के अधिकारियों ने साझा अभियान चलाकर इन इलाकों में रहनेवाले एक-एक आदमी से उनकी नागरिकता के बारे में राय मांगी। उनकी इच्छा के आधार पर उन्हें भारत या बांग्लादेश में रहने की इजाजत दी गई।

दरअसल, इन बस्तियों में रहने वाले तकरीबन 51 हजार लोगों के पास दशकों से कोई देश नहीं था। यहां के लोगों को अब अपनी पसंद के हिसाब से नागरिकता हासिल हो सकेगी। भारतीय सीमा में मौजूद 51 बांग्लादेशी एनक्लेव के लोगों ने यहीं रहने का फैसला किया है। बांग्लादेश स्थित भारतीय एनक्लेव के 979 लोग भारतीय सीमा में आएंगे। इनमें से 163 मुसलमान हैं।